भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में देश में दूसरे पायदान पर आई हैं। जिससे शहर की गंदगी में भी पहले के मुकाबले कमी देखने को मिली है। लेकिन, राजधानी भोपाल में सप्लाई होने वाले पानी में गंदगी और कचरा मिल रहा है। यह आसपास रहवासी इलाकों के लोगों की स्वास्थ्य  पर बुरा असर डाल रहा है। जिससे गंभीर बीमारियां होने का खतरा है।

भोपाल के करीब 2.50 लाख आम लोगों की सेहत मुसीबत में पड़ गई है। जिसकी कई शिकायतें सामने आ रही है। दरअसल दूषित पानी के सप्लाई होने के कारण हैजा, टाईफाइड, पीलिया सहित गैस्ट्रोइंटेराइटिस जैसी बीमारियों का खतरा पनपने की संभावना बढ़ गई है। लेकिन, कई लोगों को मजबूरन जहरीला पानी में ही काम चलाना पड़ रहा है। जो उनकी सेहत के लिहाज से नुकसानदेह है।

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दूषित पानी की मुख्य वजह एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) है। जिसका गंदा पानी सप्लाई लाइनों में मिलकर लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। बता दें शहर की करीब 60 वैध और 60 अवैध कॉलोनियों में एसटीपी का गंदा पानी खुले में बह रहा है। पटेल नगर, कटारा हिल्स, बैरागढ़, कोलार, करोंद, अयोध्या बायपास, बावड़ियां जैसे क्षेत्रों में वर्तमान में कई कॉलोनियां विकसित हुई है। जिसमें इसका गंभीर असर पड़ रहा है। 

इस मामले में नगर-निगम आयुक्त हरेन्द्र नारायण ने जानकारी दी कि हमारी टीमें इसकी लगातार निगरानी कर रही है। हम जल्दी ही एसटीपी को फिर से दुरुस्त करने के लए कॉलोनियों को नोटिस भेजेंगे। जल आपूर्ति लाइनों की भी जांच कराई जाएगी।