कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रवासी मजदूरों में बांटी जा रही राहत में पक्षपात पर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पत्र लिखा है। सिंह ने पत्र के साथ बाहर फॅंसे उन मजदूरों की सूची और उनके मोबाइल नम्बर भेजे हैं जिन्होंने सिंह के दफ्तर में सहायता के लिए संपर्क किया है।

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सिंह ने लिखा है कि 24 मार्च से प्रदेश के हजारों परिवार विभिन्न राज्यों में फॅंसे हुये है। ये परिवार स्थानीय लोगों या प्रशासन की मदद से किसी तरह खाने और ठहरने की व्यवस्था से जूझते हुये गुजर-बसर कर रहे है। प्रदेश के बाहर काम की तलाश में अलग-अलग काम धंधा करने वाले ये परिवार अब स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे है। प्रदेश में निवासरत उनके परिजन भी उनकी हालत देखकर चिन्तित और व्यथित है। यही स्थिति मध्य प्रदेश के मंडला डिंडोरी उमरिया शहडोल अनूपपुर जैसे अन्य जिलों से गेंहू चना की फसल काटने के लिये रबी उत्पादक जिलों में ‘‘चैत’’ करने के लिये आते हैं। वे भी अब फसल तैयार हो जाने के बाद अपने घर वापस लौटने के लिये आतुर हैं। इस भयंकर आपदा की घड़ी में मैने भी अपने कार्यालय से हेल्पलाइन प्रारंभ कर विभिन्न राज्यों में फंसे इन परिवारों की अपने स्तर पर और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मदद करने का प्रयास किया है। अब चूंकि लॉकडाउन 3 मई  तक बढ़ा दिया गया है ऐसी स्थिति में इन पीड़ित, दुःखी और बेबस परिवारों को दैनिक उपयोग की जरूरी सामग्री सहित नकदी रूपया उपलब्ध कराने के लिये शासन स्तर से तत्काल प्रयास किये जाने चाहिये।

क्लिक : बाहर फंसे मजदूूरों को सुरक्षित घर पहुंचाए सरकार

सिंह ने लिखा है कि मुझे समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि आपने भाजपा के सांसदों, विधायकों, जिला अध्यक्षों और संगठन मंत्रियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग करके उनसे बाहर फॅंसे मजदूरों के नाम और बैंक खातों की सूची मांगी है ताकि उनके खातों में 1000 रूपये की राशि जमा करके सहायता की जा सके। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गरीब मजदूरों की सूची भी सिर्फ भाजपा के लोगों से ही मंगाई जा रही है। दूसरे राज्यों में फॅंसे अनेक मजदूर कांग्रेस के नेताओं, सांसदों, विधायकों और जनप्रतिनिधियों से संपर्क करके उनसे सहायता की मांग कर रहे है। ऐसे कठिन समय में भी राजनीति करना और मजदूरों को भी भाजपा कांग्रेस में विभाजित करके देखना अत्यंत दुःखद है।

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सिंह ने कहा कि दूसरे राज्यों में फॅंसे मध्यप्रदेश के गरीब और बेसहारा मजदूरों को राजनीतिक आधार पर ना बांटे एवं सभी के साथ समानता का व्यवहार करते हुये सभी राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों से भी बाहर फॅंसे मजदूरों की सूची बुलवाकर उन सभी के खातों में सहायता राशि जमा करवाने का कष्ट करें। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में ही अन्य जिलों से “चैत’’ करने आये मजदूरों की भी सूची स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा तैयार कर उन्हें भी वापस लौटने में मदद करें। इन मजदूरों को राहत पंहुचाने और इनके सतत संपर्क में बने रहने के लिये राज्यवार नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर हर राज्य के लिये टेलीफोन नम्बर, संबन्धित अधिकारी के मोबाइल नम्बर, अखबार, प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से तत्काल जारी किये जाये ताकि पीड़ित परिवार राज्य शासन से सहायता और सुरक्षा की मांग कर सके।