भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पर्यटकों के लिए अब कश्मीर की डल झील जैसा अनोखा अनुभव उपलब्ध होगा। सीएम मोहन यादव ने 4 दिसंबर को एक कार्यक्रम में बड़े तालाब (अपर लेक) में शिकारा सेवा की आधिकारिक शुरुआत की। इसके तहत 20 शिकारे झील में उतारे गए हैं। इनके जरिए से स्थानीय और बाहरी पर्यटक प्रीमियम बोटिंग का आनंद ले सकेंगे। इस पहल के तहत भोपाल को वॉटर-टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सहित कई मंत्री, विधायक और गणमान्य अतिथि मौजूद थे।
लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि डल झील की तर्ज पर शिकारा सेवा भोपाल को राष्ट्रीय पर्यटन नक्शे पर नई पहचान दिलाएगी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश देश का भौगोलिक केंद्र होने के कारण हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। राज्य में वन्यजीव, धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक धरोहरों के साथ-साथ अब वॉटर स्पोर्ट्स और वॉटर टूरिज्म का दायरा भी तेजी से बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल सबसे अधिक पर्यटक मध्यप्रदेश आए थे और उज्जैन में अकेले 7 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे।
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मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि नर्मदा वैली और अन्य बड़ी जल परियोजनाएं पर्यटन की नई संभावनाएं बना रही हैं। सरकार का उद्देश्य है कि इन परियोजनाओं के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार मिले और भोपाल की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सशक्त हो। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि राजधानी की विशाल झील में शिकारा सेवा का शुभारंभ अपने आप में अनोखा आकर्षण है। इससे न केवल पर्यटन बढ़ेगा बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी खुलेंगे। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथियों ने बोट क्लब पर लगे आंचलिक विज्ञान केंद्र के टेलीस्कोप से सूर्य दर्शन भी किए।
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कश्मीर की तरह तैयार किए गए ये शिकारे पर्यावरण के पूरी तरह अनुकूल हैं। इनमें फाइबर रिइनफोर्स्ड पॉलीयूरिथेन (FRP) सामग्री का उपयोग किया गया है जो न प्रदूषण फैलाती है और न ही झील के जैव-वातावरण को नुकसान पहुंचाती है। इन शिकारों को अत्याधुनिक तकनीक से अधिक सुरक्षित, टिकाऊ और आकर्षक बनाया गया है ताकि पर्यटकों को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान किया जा सके। प्रदेश में पहली बार इतने बड़े स्तर पर शिकारा सेवा शुरू की गई है। इससे बड़ा तालाब राष्ट्रीय पर्यटन के मानचित्र पर और अधिक प्रमुखता से उभरेगा। राज्य सरकार का मानना है कि वॉटर टूरिज्म बढ़ने से रोजगार, स्थानीय व्यवसाय और शहर की पहचान, तीनों को फायदा होगा।
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