भोपाल। राज्यसभा सांसद एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खरीफ फसलों की MSP पर खरीदी शुरू करने की मांग की है। शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश के किसानों की दुर्दशा पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश की खरीफ फसलों (मक्का, मूँगफली, सोयाबीन और धान) के प्रति सरकार का रवैया उदासीन है। किसानों को उनकी मेहनत की उचित कीमत नहीं मिल रही है और सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद की जिम्मेदारी से बच रही है।
सिंह ने कहा कि इस वर्ष प्रदेश में सोयाबीन का रकबा घटा है, क्योंकि उच्च गुणवत्ता की किस्में (वैरायटीज़) उपलब्ध नहीं हो रहीं और नकली बीज-खाद के कारण उत्पादन निरंतर घटता जा रहा है। उन्होंने बताया कि सोयाबीन की कीमत आज भी ₹4,000 प्रति क्विंटल के आसपास है, जो दस साल पहले जितनी थी — यानी किसानों की आमदनी में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि सोयाबीन की तुलना में अब मक्का और मूँगफली की खेती में वृद्धि हुई है, लेकिन इन फसलों की स्थिति भी दयनीय है। मक्का आज बाजार में ₹1,200 से ₹1,400 प्रति क्विंटल बिक रही है, जबकि इसकी एमएसपी ₹2,400 है। सीएसीपी के अनुसार इसकी लागत ₹1,508 आती है, यानी किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं।
इसी प्रकार उन्होंने बताया कि मूँगफली का बाजार भाव ₹3,000 से ₹3,500 प्रति क्विंटल है, जबकि इसकी एमएसपी ₹7,263 और लागत ₹4,842 है। मूँगफली और मक्का दोनों में ही किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा, और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।
सिंह ने कहा कि प्रदेश की मंडियों में मक्का आने लगी है, परंतु एमएसपी पर खरीद के आदेश अब तक जारी नहीं हुए। उन्होंने मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करते और देश के कृषि मंत्री — जो मध्यप्रदेश से ही हैं — मौन साधे बैठे हैं, जबकि उनके अपने क्षेत्र में मक्का की खेती सबसे अधिक बढ़ी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सोयाबीन की खरीद भी एमएसपी पर नहीं हो रही, और सरकार भावांतर योजना लागू करने की बात कर रही है, जो पहले भी पूर्णतः असफल रही थी। किसान इस योजना से असंतुष्ट हैं। उन्हें नकद और समय पर मूल्य चाहिए, कागजी योजनाएँ नहीं।
पूर्व सीएम ने कहा कि पूरे प्रदेश का किसान आज परेशान और दुखी है। उसकी लागत भी नहीं निकल पा रही है । ऐसे में सरकार का दायित्व है कि मक्का, मूँगफली, सोयाबीन और धान — सभी खरीफ फसलों की एमएसपी पर तत्काल खरीद प्रारंभ की जाए।