भोपाल। मध्य प्रदेश में खनन माफिया पर रोक लगाने में शिवराज सरकार बुरी तरह से विफल रही है। खनन माफिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में असफल शिवराज सरकार की पोल ख़ुद केंद्र के खान मंत्रालय ने खोल दी है। संसद में खान राज्य मंत्री द्वारा दिए गए जवाब के मुताबिक पांच वर्षों में, प्रदेश भर में अवैध खनन के 52 हज़ार से अधिक मामले सामने आए, जिसमें सिर्फ 500 मामलों में एफआईआर दर्ज हुई। 

राज्यसभा में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने खान मंत्री से यह सवाल पूछा था कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पिछले चार वर्षों में अवैध खनन के कितने मामले दर्ज किए गए? इसके साथ ही किन खनन कंपनियों पर कितना जुर्माना लगाया गया। 

तन्खा के सवालों के जवाब में खान एवं कोयला राज्य मंत्री ने बताया कि 2013 से 2018 के बीच मध्य प्रदेश में अवैध खनन के 52 हजार से अधिक मामले सामने आया। वहीं कुल 516 एफआईआर दर्ज की गईं। इस दौरान कुल 2978 गाड़ियां ज़ब्त की गईं जबकि एक लाख 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। जबकि कोर्ट में अवैध खनन से जुड़े 42,942 मामले दर्ज हैं। 

इस अवधि में मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और राजस्थान के हालात भी अच्छे नहीं हैं। छत्तीसगढ़ में इस अवधि में अवैध खनन के 20 हज़ार से अधिक मामले सामने आए जबकि सिर्फ दो एफआईआर दर्ज की गई। वहीं राजस्थान में पंद्रह हजार से अधिक अवैध खनन के मामले सामने आए लेकिन छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की तुलना में वहां अवैध खनन के 2,584 मामले दर्ज किए गए। 

यह भी पढ़ें : लगातार कर्ज़ के बोझ तले दब रहा MP, विधानसभा चुनाव तक प्रति व्यक्ति होगा 38 हज़ार का कर्ज़

यहां गौर करने वाली बात यह है कि अवैध खनन के मामलों और उसको लेकर राज्य सरकार के उदासीन रवैए की बात जिस अवधि की हो रही है, उस दौरान तीनों ही राज्यों में बीजेपी शासन में थी। मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान तो माफियाओं को गड्ढे में गाड़ देने का दावा करते हैं लेकिन प्रदेश के यह आंकड़े सीएम के दावों के विपरीत ही नज़र आ रहे हैं।