भोपाल। मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है। एक तरफ भाजपा की ओर से प्रदेश में केंद्रीय नेताओं के लगातार दौरे हो रहे हैं तो दूसरी तरफ विपक्षी दल कांग्रेस की ओर दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जोड़ी मैदान में है। कांग्रेस उन सीटों पर विशेष रणनीति अपना रही है जहां पार्टी कई बार से चुनाव हार रही है। इसी रणनीति के तहत पीसीसी चीफ कमलनाथ 1 मई को मजदूर दिवस के मौके पर गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे।

जानकारी के मुताबिक आगामी 1 मई को विश्व मजदूर दिवस के उपलक्ष्य में पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र के सोनागिरी में पिपलानी पेट्रोल पम्प के पास प्रातः 11 बजे जनसभा को संबोधित करेंगे। भोपाल जिला कांग्रेस कमेटी ने BHEL कर्मचारियों, वरिष्ठ कांग्रेस जनों, सभी संगठन एवं प्रकोष्ठों के पदाधिकारी गणों को इस कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया है।

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दरअसल, भोपाल स्थित गोविंदपुरा विधानसभा औद्योगिक क्षेत्र है। गोविंदपुरा उन 66 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है जहां कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है। इस विधानसभा क्षेत्र में संगठन को मजबूती देने के लिए पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह मंडलम-सेक्टर अध्यक्षों की बैठक ले चुके हैं। सिंह ने यहां कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रबंधन का पाठ पढ़ाया था। अब कांग्रेस यहां शक्ति प्रदर्शन करने वाली है। 

गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में करीब 3 लाख 65 हजार मतदाता हैं। खास बात ये है कि इनमें 70 फीसदी मतदाता BHEL से जुड़े हैं। मजदूर दिवस पर यहां कार्यक्रम आयोजित कर कांग्रेस BHEL कर्मचारियों को साधने की कोशिश में है। इससे पहले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी कई बार BHEL कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों से मुलाकात कर चुके हैं। सिंह लगातार BHEL के निजीकरण और कर्मचारी हितों की अनदेखी का मुद्दा उठाते रहे हैं।

कांग्रेस इस बार भाजपा के इस अभेद गढ़ में विजय पताका फहराने की कोशिश में है। गोविंदपुरा क्षेत्र से वर्तमान में कृष्णा गौर भाजपा विधायक हैं। वह प्रदेश के पूर्व सीएम बाबूलाल गौर की बहू हैं। गोविंदपुरा इलाका बाबूलाल गौर का कर्मक्षेत्र रहा है। दरअसल, बाबूलाल गौर भी BHEL के कर्मचारी थे। गोविंदपुरा से विधायक रहते उन्होंने मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया। 

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खास बात है कि कांग्रेस जब यहां BHEL के कर्मचारी को टिकट देती है तो प्रदर्शन काफी बेहतर होता है। पार्टी ने यहां से दो बार आरडी त्रिपाठी को टिकट दिया है। त्रिपाठी BHEL कर्मचारी यूनियन के नेता थे। सन 1985 और 1998 में आरडी त्रिपाठी ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडा और बेहद कम अंतर से चुनाव हारे। जबकि पिछले 2018 विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा की कृष्णा गौर 57 फीसदी वोट शेयर के साथ जीत दर्ज करने में कामयाब रही थीं। इस बार चुनाव में निजीकरण, कर्मचारियों के पेंशन व अन्य कई मुद्दे अहम हैं। कर्मचारियों में भाजपा सरकार को लेकर काफी रोष भी है। अब देखना होगा कि कर्मचारियों के गुस्से को कांग्रेस कितना भुना पाती है।