भोपाल। 
पूर्व मुख्य मंत्री और मप्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यरक्ष कमलनाथ ने अपने बयान में मुख्यकमंत्री चौहान पर तंज कसते हुए उनके पूर्व कार्यकाल को याद दिलाया है।

उन्होंने कहा कि शिवराज जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कैसे आबाद किया पहले ये जान लीजिए। महिलाओं के साथ दुराचार के मामलों में प्रदेश अव्वल, मध्यप्रदेश में कुपोषण देश में सबसे ज़्यादा, नवजात बच्चों की मृत्यु दर देश मे सबसे ज़्यादा, प्रति व्यक्ति आय पूरे देश में सबसे निचले स्तर पर, लगभग चालीस प्रतिशत आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे, सिर्फ़ 12 प्रतिशत आबादी को नलों से पानी पहुँचाया, किसानों को फ़सलों के दाम माँगने पर उनके सीने में गोलियाँ मारकर मौत के घाट उतारा।
नाथ ने कहा कि प्रदेश के गौरव आदिवासी भाइयों के वन अधिकार के आवास के पट्टे निरस्त करने के मामले देश में सबसे ज़्यादा, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग का दमन, मध्यप्रदेश के 70 प्रतिशत स्कूलों में बिजली के कनेक्शन तक नहीं, उच्च शिक्षा का ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चों का 13 और अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों का 6 देश मे सबसे निचले स्तर पर। औद्योगिक निवेश में सबसे पिछड़ा , रोज़गार के अवसर नगण्य, अर्थात सारे सामाजिक और आर्थिक सूचकांक पन्द्रह वर्षों में भाजपा ने गर्त में डाल दिये और गर्त में डालकर वे इसे तरक्क़ी बता रहे हैं। 

15 माह में उम्मीद रंग लाई-तरक्की मुस्कराई
इसके उलट नाथ ने अपने 15 माह के कार्यकाल की उपलब्धियों का जिक्र किया है। उन्होंनने कहा कि 15 माह के कम समय में कांग्रेस की सरकार ने विरासत में मिली आर्थिक बदहाली के बावजूद 22 लाख़ किसानों का कर्जा माफ़ किया, एक करोड़ से अधिक परिवारों अर्थात लगभग 5 करोड़ लोगों को 1रुपए मात्र में एक यूनिट बिजली 100 यूनिट तक देकर उनका बिजली का बिल 70 % कम कर दिया, किसानों को कृषि उपयोग की बिजली आधे दामों पर ,जो पहले 1400 रुपए प्रति एचपी था , उसे 700 रु कर दिया , बेटियों की शादी में 51 हज़ार रुपए, 30 हज़ार करोड़ का नया औद्योगिक निवेश, मध्यप्रदेश के उद्योगों में प्रदेश के 70% लोगों की नौकरी का प्रावधान। पूरे प्रदेश को माफिया मुक्त कराने का अभियान चलाकर भू माफिया, खनन माफिया, सहकारी माफिया, वसूली माफिया, शराब माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया, माइक्रो फाइनेंस माफिया, सबको नेस्तानाबूत करना।
नाथ ने कहा कि उन्होंने मध्यप्रदेश को हर स्तर पर गर्त में डालकर सिर्फ़ भाषण, रैलियाँ, विज्ञापन और भ्रष्टाचार को ही प्रगति का द्योतक माना है और जनता के नकारने के बावजूद महलों की शरण में जाकर ख़रीद फरोख्त कर के पिछले दरवाजे से सरकार बनाई है।