एक तो देश में कोरोना वायरस का कहर और उस पर लॉकडाउन 4.0 लागू होना। सरकार ने लॉकडाउन 4.0 की गाइड लाइन तय करते हुए कुछ रियायत जरूर दी है मगर ये रियायतें ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही हैं। काम बंद हैं। कारखानें, दुकानें, रेस्‍टोरेंट आदि 25 मार्च के बाद खुले नहीं हैं मगर बिजली बिल बराबर आ रहे हैं। बिजली विभाग हर माह बिल नहीं भेज रहा बल्कि बिल ज्‍यादा आ रहे हैं। एक तरफ व्‍यापारी बिना कारोबार बिल आने से परेशान हैं तो डोमेस्टिक कंज्‍यूमर अधिक बिल से तंग हैं।

शाहपुरा में टू बीएचके फ्लेट मालिक विलास चंद्र तिवारी को मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने 124 यूनिट बिजली जलाने पर 2387 रुपए का बिल दिया है। यानि एक यूनिट बिजली 21.66 रुपए में बेची गई। गड़बड़ी इतनी ही नहीं है। तिवारी को मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने 1598 रुपए का बिजली बिल का एसएमएस भेजा था। मगर मेल पर भेजा गया बिल 1019 रुपए का था। इस तरह एक यूनिट का 15.98 रुपए या 10.19 रुपए चार्ज माना गया।

बिजली विभाग की मनमानी से लोग परेशान हैं। एसी से कोरोना महामारी फैलने की आशंका में एसी कम चलाए जा रहे हैं या उनकी कूलिंग कम रखी जा रही है। यूनिट अधिक आने पर बिल ज्‍यादा आना तो समझ आता है मगर कम यूनिट पर अधिक बिल लोगों को हजम नहीं हो रहा है। लॉकडाउन के कारण बिजली रीडिंग नहीं हो पा रही है। ऐसे में कंपनी के अधिकारी पिछले साल की खपत को आधार मानकर बिल भेज रहे हैं। यही कारण है कि रीडिंग की तुलना में कई गुना ज्यादा बिल आ रहे हैं।

अब बिल सुधरवाने के लिए बिजली कॉल सेंटर पर शिकायत करने के लिए ऑनलाइन कॉल सेंटर पर निर्भरता बढ़ गई है।

घरेलू उपभोक्‍ताओं की इस परेशानी के विपरित कारोबारी बिना बिजली जले अधिक बिल आने से तंग हैं। रेस्‍टोरेंट संचालक आशीष मेहता के अनुसार 25 मार्च से रेस्‍टोरेंट बंद है। अप्रैल में मार्च का बिजली बिल भर दिया गया है। रेस्‍टोरेंट के कर्मचारी बाहर के हैं इसलिए वे घर नहीं गए हैं। वे ही रह रहे हैं मगर बिजली विभाग कर्मशियल उपयोग मानते हुए भारी बिल दे रहा है। कमाई है नहीं, मजदूरों का पेट भरे या अधिक बिजली बिल भरे। इस बारे में अधिकारी कोई सहायता करने की स्थिति में नहीं हैं। वे बिजली कनेक्‍शन काटने की बात कह रहे हैं।

सोशल डिस्‍टेंस के साथ प्रदर्शन करेंगे

ज्‍यादा बिजली बिल और बिना कारोबार बिजली‍ बिल के खिलाफ अब कारोबारी एकजुट होने लगे हैं। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज एमपी ने तय किया है कि 21 मई को ऑनलाइन धरना दे कर ज्‍यादा बिल और बिना काम के बिजली खपत मानने के निर्णय का विरोध किया जाएगा। एसोएिसशन के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने कहा है कि रकार के सहयोग के बिना उद्योग चलना मुश्किल होगा। संगठन से जुड़े 5 हजार उद्योगपतियों की फैक्ट्रियां दो माह से बंद हैं। इसके बावजूद लाखों रुपए के बिजली के बिल जारी कर दिए गए हैं। काम बंद होने से उद्यमियों की माली हालत पहले ही खराब है। अब वे बिल कैसे भरेंगे। ऐसी ही समस्‍याओं को लेकर 21 मई को 1.30 घंटे तक ऑनलाइन धरना दिया जाएगा। इसमें उद्योगपति हाथों में मांग लिखी तख्तियां लेकर शामिल होंगे। भोपाल चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्‍य संजय जैन ने बताया कि कारोबारी लगातार अधिक बिल की शिकायत कर रहे हैं। मर्चेंट एसोसिएशन सरकार तक यह बात पहुंचा चुका है। सुनवाई न होने पर अन्‍य कदम उठाए जाएंगे।