उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के विस्तारीकरण के लिए खुदाई का काम तेजी से जारी है। जहां से रोजाना नए-नए अवशेष मिल रहे हैं। गुरुवार को मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान नर कंकाल और हड्डियां मिली हैं। जो कि केवल 20 फीट गहराई पर दबी थीं। इन्हें लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कंकाल और हड्डियों के बारे में एक्सपर्ट्स जांच की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि ये हड्डियां मुगलकाल के दौरान की हो सकती है, वहीं मंदिर के पुजारियों का कहना है कि ये साधुओं की भी हो सकती हैं। मंदिर परिसर में कंकाल मिलने से मजदूरों में दहशत है। 

महाकाल मंदिर की खुदाई की निगरानी कर रहे रिसर्चर का कहना है कि जब भी किसी स्थान में इस तरह की खुदाई की जाती है, वहां से कई बार पुराने नर कंकाल और हड्डियां मिलना सामान्य बात है। अब इन हड्डियों की जांच के बाद इस बात का खुलासा होगा कि ये किनकी हड्डियां है। इंसान और जानवरों की हड्डियां मिलती रहती हैं। उन्होंने इस बात की भी संभावना जताई है कि मुगलकाल में पुरातन महाकाल मंदिर को नुकसान पहुंचाते समय मुगलों द्वारा नरसंहार किया गया हो। उस दौरान मृतकों के शव वही दफना दिए गए होंगे और अब वे खुदाई में मिले हैं।

रिसर्चर की मानें तो परिसर से हजार साल पुराना मंदिर का ढांचा मिला है। तत्कालीन पुरातत्व धरोहरों से इस बात के  संके मुगलों द्वारा जब मंदिरों पर हमला कर लूटपाट की गई थी, उसके प्रमाण इन मंदिरों पर मिल रहे हैं, तो उस समय मुगल आतताईयों ने नरसंहार भी किए थे। यह प्राचीन नरकंकाल और मानव हड्डियां उन नरसंहारों का प्रमाण तो नहीं। इसका प्रमाण भी जांच के बाद ही पता चलेगा।

इससे पहले 14 जुलाई को मंदिर परिसर से 11वीं शताब्दी की कई मूर्तियां मिली थीं। जिन्हें परमार कालीन मंदिर के अवशेष बताया गया था। पुरातत्व विभाग का कहना है कि महाकाल मंदिर परिसर के नीचे परमार कालीन वास्तुकला का एक मंदिर दबा है। जिसके कई प्रमाण मिले हैं। यहां से भगवान शिव पार्वती गणेश की मूर्तियों के अंश भी मिले थे। पुरातत्व विभाग इनकी गहराई से जांच कर रहा है।

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दरअसल उज्जैन के महाकाल मंदिर के विस्तार के साथ-साथ श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई निर्माण कार्य किया जाएगा। जिसके लिए यहां भोपाल की पुरातत्व विभाग की निगरानी में खुदाई की जा रही है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसका कार्य किया जा रहा है।