भोपाल। मध्य प्रदेश के मुरैना में जहरीली शराब से 21 लोगों की मौत के बाद जिले के कलेक्टर अनुराग वर्मा और एसपी अनुराग सुजातिया को हटा दिया गया है। एसडीओपी को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। ये तमाम फैसले मुरैना में जहरीली शराब के कारण लोगों के मारे जाने के मामले के राजनीतिक तौर पर भी तूल पकड़ने के बाद लिए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले पर विचार के लिए आज एक बैठक की, जिसके बाद इन फैसलों का एलान किया गया। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने मुरैना कांड के लिए शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया था कि जिन माफियाओं को कांग्रेस सरकार ने ख़त्म किया था, उनके हौसले फिर से बुलंद हो गए हैं।



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मुख्यमंत्री आवास में हुई उच्च स्तरीय बैठक में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव गृह राजेश राजौरा मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने मुरैना की घटना को अमानवीय और तकलीफ पहुंचाने वाली बताया है। मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि मिलावट की ऐसी घटनाओं पर स्थानीय कलेक्टर और एसपी दोषी होंगे,उन पर कार्रवाई की जाएगी।  





मुख्यमंत्री ने प्रदेश में शराब के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश भी दिए हैं। वहीं इस मामले में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि दोषी चाहे वह कितना भी बड़ा हो उसे छोड़ा नहीं जाएगा। मुरैना में जहरीली शराब से 20 लोगों की मौत मामले की जांच की जिम्मेदारी अपर मुख्य सचिव गृह राजेश राजोरा और एडीजी स्तर के अधिकारी को सौंपी गई है।



मुरैना में जहरीली शराब पीने से अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है। सुमावली के पहावली गांव में 3 और बागचीनी इलाके के मानपुर गांव में 11 जनवरी को जहरीली शराब पीने से 7 लोगों की मौत हुई थी।मौतों का का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में पिछले 9 महीने में जहरीली शराब पीने से 38 लोगों की मौत हो चुकी है। मई 2020 में रतलाम में चार लोगों की मौत हुई थी। अक्टूबर में उज्जैन में जहरीली शराब पीने से 14 लोगों ने दम तोड़ दिया था। इसी साल जनवरी में खरगोन के देवला गांव में 2 लोगों की मौत हुई थी।