उज्जैन। बाबा महाकाल के सामने यूं तो छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच का कोई भेद नहीं होता, लेकिन बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय उनके सामने भी अपना रसूख का प्रदर्शन करते देखे गए। कैलाश विजयवर्गीय आज नियमों को ताख पर रखते हुए महाकाल मंदिर के गर्भगृह में घुस गए। इस वजह से भस्म आरती भी रुकी रही। मंदिर के पुजारियों ने विजयवर्गीय के इस रवैये को लेकर जमकर हंगामा किया है।

दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय आज सुबह नागपंचमी के मौके पर अपने विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय व बीजेपी के एक अन्य विधायक रमेश मेंदोला को लेकर बाबा महाकाल की शरण में पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि इस दौरान प्रशासन ने कैलाश विजयवर्गीय के आते ही अन्य सभी द्वार को बंद कर दिया था। मंदिर के सीसीटीवी भी बंद कर दिए गए। इतना ही नहीं सुबह चार बजे भस्म आरती के लिए जब मंदिर के मुख्य पुजारी अन्य पुजारियों के साथ पहुंचे तो उन्हें भी गेट पर रोक दिया गया। 

हद्द तो तब हुई जब विजयवर्गीय के कारण भस्म आरती को भी आधे घंटे तक रोकना पड़ा। यहां पुजारियों ने सभा मंडप में बीजेपी नेताओं को देखा तो वे भड़क गए। पुजारियों ने उसी दौरान मंदिर परिसर में जमकर हंगामा किया। पुजारियों का कहना था की गर्भगृह में किसी को जाने की इजाजत नहीं है। ऐसे में नेताओं को किसके आदेश से गर्भगृह तक जाने दिया गया। पुजारियों ने कहा है कि वे विजयवर्गीय के रवैए की शिकायत सीएम शिवराज से करेंगे।

देते हैं भगवान को धोखा, इंसान को क्या छोड़ेंगे

कांग्रेस ने इस मामले पर कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा, 'इसके लिए पूरी तरह से प्रशासन दोषी है। जब कोरोना प्रोटोकॉल के तहत आम आदमी के लिए गर्भगृह में प्रवेश बंद है तो उन्हें छूट किसने दी। क्या वे सनातन परंपरा से भी ऊपर हैं। कैलाश विजयवर्गीय को शर्म आनी चाहिए जो धार्मिक मामलों में भी अपना रसूख झाड़ते हैं।' मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा है कि 'देते हैं भगवान को धोखा इंसान को क्या छोड़ेंगे।'

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दरअसल, पिछले एक साल से कोरोना प्रोटोकॉल को देखते हुए भस्म आरती में आम श्रद्धालुओं की एंट्री बंद है। मंदिर प्रशासन द्वारा हर सुबह भस्म आरती का लाइव प्रसारण किया जाता है ताकि श्रद्धालु दर्शन लाभ ले सकें। हालांकि, बीजेपी नेताओं पर यह नियम लागू क्यों नहीं हुए यह समझ से परे है। बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब कैलाश विजयवर्गीय के कारण महाकाल मंदिर में हंगामा हुई है। साल 2017 में भी वे दो दर्जन समर्थकों के साथ जबरन गर्भगृह में घुस गए थे। इसके पहले भी एक बार उन्होंने मंदिर का पट बंद होने के बाद जबरन खुलवाया था।