भोपाल। मध्य प्रदेश में कृषि के लिए महज़ 10 घंटे की बिजली का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। एक तरफ़ विपक्षी कांग्रेस ने कर्मचारियों एवं अधिकारियों से अपराधियों की तरह व्यवहार करने को मुद्दा बनाया है तो दूसरी तरफ़ किसान संगठनों ने इसे खेती किसानी पर चौतरफ़ा हमला बताया है। मामला मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MPMKVVCL) की तरफ़ से जारी एक प्रेस नोट की वजह से सुर्खियों में आया है। कंपनी ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अगर किसी कृषि फीडर पर 10 घंटे से ज्यादा बिजली दी गई तो ऑपरेटर से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक के वेतन काट लिए जाएंगे।

एमपीईवी के इस आदेश के बाद प्रदेश के किसानों में आक्रोश का माहौल है। किसानों का कहना है कि फसलों की सिंचाई के समय बिजली सीमित करने से खेती पर असर पड़ेगा। किसान नेता केदार सिरोही ने MPEB के इस फ़ैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ये साल प्रदेश के किसानों के लिए काफी जोखिम भरा साबित हुआ है। “इस साल की शुरुआत से ही किसानों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा है। पहले बुआई नहीं हो सकी और जहां बुआई हो गई वहां वर्षा की वजह से फसलें खराब हो गयीं  प्रदेश में सोयाबीन की फसल खराब होने के बाद किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका। किसानों को खाद की आपूर्ति भी पर्याप्त नहीं हो रही है.. और अब कृषि के लिए बिजली आपूर्ति को लेकर तीसरी बड़ी मार झेलनी पड़ी है।”

यह भी पढ़ें:हरियाणा में हर आठ में से एक वोटर फर्जी था, बिहार में वोटिंग से एक दिन पहले राहुल गांधी ने फोड़ा हाइड्रोजन बम

इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने आदेश को किसान विरोधी बताया और बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है।सिंगार ने सवाल उठाया है कि प्रदेश में क्या इतनी बिजली की कमी हो गई है जो किसानों को तय समय से ज्यादा बिजली देना अपराध बना दिया गया? कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री किसानों को भरोसा दिला रहे हैं जबकि, उनकी ही सरकार के अधीन आने वाली कंपनी उनके वादों की धज्जियां उड़ा रही है। 

MPEV के मुख्य महाप्रबंधक एके जैन द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी स्थिति में कृषि फीडर पर 10 घंटे से अधिक बिजली नहीं दी जाएगी चाहे मौसम, तकनीकी दिक्कतें या लोड बढ़ने की स्थिति कुछ भी हो। यह आदेश भोपाल, ग्वालियर, सीहोर, राजगढ़, नर्मदापुरम, रायसेन, हरदा, विदिशा, अशोकनगर, गुना, भिंड, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी और दतिया जिलों में लागू किया गया है।

यह भी पढ़ें:भारतीय मूल के जोहरान ममदानी बने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर, ट्रंप की धमकी के बावजूद दर्ज की शानदार जीत

आदेश में सख़्त लहजे में लिखा है कि इसका पालन न हुआ तो तो सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। इस प्रेस नोट के कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-
1. पहली बार उल्लंघन होने पर संबंधित ऑपरेटर का एक दिन का वेतन काटा जाएगा।
2. लगातार दो दिन तक 10 घंटे से अधिक बिजली देने पर जूनियर इंजीनियर (JE) का एक दिन का वेतन कटेगा।
3. पांच दिन तक ऐसा पाए जाने पर एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (EE) का वेतन काटा जाएगा।
4. सात दिन लगातार ऐसा होने की स्थिति में उपमहाप्रबंधक (DGM) या महाप्रबंधक (GM) की सैलरी से भी एक दिन का वेतन काट लिया जाएगा।

कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया है कि मीटर रीडिंग के आधार पर निगरानी की जाएगी। 10 घंटे 15 मिनट तक बिजली आपूर्ति को तकनीकी छूट के तहत अनुमति दी जाएगी लेकिन इससे ज्यादा आपूर्ति को नियम उल्लंघन माना जाएगा। कंपनी के इस आदेश से प्रदेशभर में किसानों के बीच हड़कंप मच गया है। जबकि, बिजली विभाग के कर्मचारियों में यह डर है कि गलती से अधिक सप्लाई होने पर सजा भुगतनी पड़ सकती है। 

यह भी पढ़ें:अमेरिका के केंटकी राज्य में कार्गो प्लेन क्रैश, डेढ़ लाख लीटर तैल फैला, 4 की मौत

बता दें कि सीएम मोहन यादव कुछ दिन पहले समाधान योजना के शुभारंभ अवसर पर वादा किया था कि प्रदेश के सभी किसानों को 10 घंटे बिजली दी जाएगी। जिसके बाद किसानों को उम्मीद थी कि रबी फसल की सिंचाई के लिए उन्हें पर्याप्त बिजली मिलेगी। लेकिन बिजली विभाग के इस आदेश से सरकार की मनशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। किसान ही नहीं विक्षप भी इसे आशंका की नजर से देख रहा है।