भोपाल। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एक बार फिर से राज्य में शराबबंदी की अपनी मांग पर ज़ोर दिया है। इस बार उन्होंने शराबबंदी को चरणबद्ध ढंग से लागू करने की दिशा में योजना बनाकर कदम उठाए जाने की मांग की है। उमा भारती ने इस बारे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को पत्र लिखकर कई सुझाव दिए हैं। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि शराबबंदी की दिशा में आगे कदम बढ़ाने के लिए उन्हें प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष से भी ज़रूर सहयोग और समर्थन मिलेगा। उमा भारती ने अपनी चिट्ठी में बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में लागू शराबबंदी का उदाहरण देकर उससे सीखने की सलाह भी दी है। 

उमा भारती ने पत्र में माना है कि शराब ज़बरदस्ती नहीं छुड़ाई जा सकती। नशा स्वेच्छा से ही छोड़ा जाना चाहिए। लेकिन लोगों को स्वस्थ रखने की ज़िम्मेदारी भी सरकार की ही है। उमा भारती ने कहा कि हम नशा और शराब को स्वास्थ्य की दृष्टि से कभी उचित नहीं कह सकते। इसलिए हमें इसे रोकने के बारे में सोचना चाहिए।

उमा भारती ने कहा है कि मध्य प्रदेश एक शांतिप्रिय राज्य रहा है। लेकिन लॉकडाउन के हटने के बाद जब कारोबार खुला तो शराब की दुकानें भी खुली। कोरोना काल में शराब नहीं पीने से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई, लेकिन  शराब का कारोबार खुलते ही कई लोग अपनी ज़िंदगियों से हाथ धो बैठे। इसका मतलब साफ है कि शराब मानवता की दुश्मन है। 

उमा भारती ने वीडी शर्मा को प्रदेश में शराबबंदी को लेकर कुछ सुझाव दिए हैं। उमा भारती ने कहा है कि निसंदेह शराब से राज्य सरकार को राजस्व प्राप्त होता है। लेकिन सरकार को एक कमेटी बनाकर शराबबंदी से होने वाले  राजस्व के नुकसान का विकल्प तलाश करना चाहिए। अपनी मर्जी से शराब छोड़ने के लिए राज्य सरकार को प्रदेश में एक जनजागरण अभियान चलाना चाहिए।

उमा भारती ने कहा है कि कुछ वर्जित स्थानों का चयन करके वहां शराब की दुकानों पर फौरन प्रतिबंध लगाकर उसे कड़ाई से लागू करना चाहिए। इसके साथ ही शराब पीकर समाज में घूमने वाले लोगों के खिलाफ कड़े दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए।  दूसरे राज्यों से प्रदेश में शराब की आवाजाही पर भी फौरन रोक लगाई जानी चाहिए। उमा भारती ने कहा है कि इसके लिए प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में पुलिस को चौकस रहना चाहिए और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए।