इंदौर। इंदौर के डेली कॉलेज में बोर्ड ऑफ गर्वनर्स के लिए हो रहे चुनाव में रविवार की छुटी का दिन भी काफी गहमागहमी वाला रहा। खबर है कि इंदौर में डेली कॉलेज बोर्ड के सदस्यों के चुनाव में 1740 मतदाताओं ने वोट डाले। हल्की बूंदाबांदी के बीच सुबह आठ बजे से शुरू हुई वोटिंग देर शाम तक चली। इंदौर में ओल्ड डेलियन्स की संख्या करीब 3000 है। इसके अलावा न्यू डोनर्स कैटेगरी में कुल 416 में से 334 लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया जबकि 2300 पोस्टल बैलेट्स में से 1500 वोट पड़े। यह चुनाव ओल्ड डेली कॉलेज एसोसिएशन के लोगों का होता है। जिसके कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 5200 है। 

बारिश को देखते हुए डेली कॉलेज परिसर में मत डालने वाले लोगों के लिए 10 छातों का इंतजाम भी किया गया ताकि मतदान स्थल तक आने पर किसी को परेशानी ना हो। मतदान के दौरान कोरोना गाइडलाइन का भी ध्य़ान रखा गया। पोलिंग बूथ में एक बार में सिर्फ छह लोगों को ही प्रवेश दिया गया। मतदाता को मास्क पहनने और हाथों को सैनिटाइज करने के बाद ही पोलिंग बूथ में प्रवेश की अनुमति मिली। मतदान स्थल पर अस्पताल का स्टाफ व सुरक्षाकर्मी मतदाताओं की थर्मल स्क्रीनिंग भी की। इस बात का भी खास ख्याल रखा गया कि जिन मतदाताओं को बुखार, सर्दी-खांसी या कोविड संबंधित लक्षण हो उन्हें पोलिंग बूथ में एंट्री ना मिले।

डेली कॉलेज के चुनाव में मौजूदा बोर्ड के सदस्य देवराज सिंह बडगरा, धीरज लुल्ला, हरपालसिंह भाटिया का दूसरे गुट टीम इंपैक्ट की डॉक्टर दिव्या गुप्ता, संदीप पारिख व मानवीर सिंह बैस के साथ मुकाबला है। दोनों ही गुटों ने अपने पक्ष में मतदान के लिए पूरी ताकत लगाई है। अब परिणामों में पता चलेगा कि मतदाताओं ने किसपर विश्वास जताया है।

ऐसे होता है डेली कॉलेड बोर्ड का चुनाव

डेली कॉलेज के इस इलेक्शन को Old Dalians का चुनाव माना जाता है, लेकिन इसमें सभी शामिल होते है। इस चुनाव में 7 सदस्य चुने जाते हैं। दो ओल्ड डेलियन्स के प्रतिनिधि, दो ओल्ड डोनर्स के प्रतिनिधि, एक नए डोनर्स के प्रतिनिधि और दो सरकारी नॉमिनी के साथ डेली कॉलेज का बोर्ड तैयार होता है। 

फिर ये सात सदस्य मिलकर दो पैरेंट नॉमिनी चुनते हैं और कुल 9 मेंबर हो जाते हैं। फिर ये सभी सदस्य अपने में से किसी एक को प्रेसिडेंट और एक वाइस प्रेसिडेंट चुनते हैं। ये चुनाव पांच साल में एक बार होता है। इस बार का चुनाव इसलिए अहम हो गया है कि ये पंद्रह साल बाद हो रहा है। बीते तीन चुनावों में निर्विरोध जीत हो जाती रही है।

इंदौर में डेली कॉलेज पुराने समय से राजा महाराजाओं का स्कूल माना जाता रहा है। जिसमें धनाड्य वर्ग के लोगों के बच्चे पढ़ते रहे हैं। इसका संचालन और खर्च भी यही वर्ग उठाता रहा है। हालांकि बदलते समय के साथ डेली कॉलज में इनका हस्तक्षेप कम होता गया है। लेकिन इस कॉलेज के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का चुनाव आज भी मध्य प्रदेश और खासकर इंदौर में प्रतिष्ठा का मुद्दा रहा है। क्योंकि बीओडी स्कूल संचालन में बड़ी भूमिका निभाता है।