नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र द्वारा ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चेतावनी जारी करने के बाद अब भारत के संबंध में एक अहम रिपोर्ट सामने आई है। जलवायु परिवर्तन के खतरनाक खतरों को याद दिलाते हुए भारत के प्रतिष्ठित संस्थाओं ने बताया है कि देश के सभी 612 जिले इसके चपेट में हैं। हालांकि, पूर्वी हिस्से के करीब 100 जिलों पर जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ने वाला है।

दरअसल, क्लाइमेट चेंज को लेकर भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु ने आईआईटी गुवाहाटी और आईआईटी मंडी के साथ मिलकर एक संयुक्त रिसर्च किया है। इस रिसर्च में जलवायु परिवर्तन के खतरे को लेकर चेतावनी जारी की गई है। बताया गया है कि देश के सभी जिले इसकी चपेट में हैं लेकिन 100 जिले सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। ये 100 जिले झारखंड, मिजोरम, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, बिहार, अरूणाचल प्रदेश व पश्चिम बंगाल के हैं।

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बता दें कि पिछले महीने ही संयुक्त राष्ट्र ने ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि इसके लिए स्पष्ट रूप से मानव जाति ही जिम्मेदार है। इसके खतरनाक खतरे की याद दिलाते हुए इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि साल 2100 तक ग्लोबल तापमान में 2 डिग्री तक की बढ़ोतरी होगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक यही स्थिति रही तो इंसानियत को बचा पाना मुश्किल होगा।

रिपोर्ट में IPCC ने दुनिया को चेतावनी जारी करते हुए बताया था कि साल 2040 तक वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री का और इजाफा हो सकता है। मौजूदा हालात को देखते हुए आशंका है कि 21वीं शताब्दी के अंत तक समुद्र का जलस्तर लगभग दो मीटर तक बढ़ सकता है, तथा समुद्री तापमान बढ़ने से जलीय जीवों पर इसका बुरा असर पड़ेगा।

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IPCC रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ते तापमान से धरती पर मौसम से जुड़ी भयंकर आपदाएं आएंगी। दुनिया पहले ही, बर्फ के पिघलने, समुद्र जलस्तर के बढ़ने से भयंकर जोखिमों का सामना कर रही है। बीते कुछ सालों से दुनिया में रिकॉर्ड तोड़ तापमान, जंगलों में भयंकर आग लगने और विनाशकारी बाढ़ की घटना देखी जा रही है। इसे ग्लोबल तापमान में वृद्धि का ही नतीजा माना जा रहा है।

क्लाइमेट चेंज एक्सपर्ट्स के मुताबिक आने वाले दशकों में ग्लोबल तापमान बढ़ने का असर भारत के मैदानी इलाकों में खतरनाक साबित हो सकता है। यहां अत्याधिक तपिश होना तय है। अधिकांश मैदानी इलाकों में लोगों का जीना दूभर हो जाएगा। भारत में इस साल चाहे चमोली में आई आपदा हो, या लगातार चक्रवाती तूफानों का कहर हो या कई राज्यों में बारिश की वजह से हो रही भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति हो, सभी जलवायु परिवर्तन के ही नतीजे हैं, और इसके लिए सीधे तौर पर इंसान ही जिम्मेदार हैं।