नई दिल्ली। संसद की सुरक्षा में चूक की घटना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार चौतरफा घिरी हुई है। संसद के दोनों सदन में सोमवार को सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जमकर गतिरोध देखने को मिला। 
हालांकि, विरोध दबाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने अलोकतांत्रिक निर्णय लेते हुए 78 सांसदों को सस्पेंड कर दिया।

सोमवार को पहले लोकसभा से नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी समेत 33 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद राज्यसभा से जयराम रमेश, के सी वेणुगोपाल समेत 45 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इन सांसदों की गलती सिर्फ इतनी थी कि वे संसद में घुसपैठ मामले में गृहमंत्री शाह से जवाब मांग रहे थे।

इससे पहले पिछले हफ्ते लोकसभा से 13 सांसदों को सस्पेंड किया गया था। वहीं, राज्यसभा में डेरेक ओ ब्रायन पर निलंबन की कार्रवाई हुई थी। यानी अबतक कुल 47 सांसदों को सत्र से निलंबित कर दिया गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा से विपक्षी दलों के 33 और सदस्यों को निलंबित किए जाने के बाद सोमवार को सरकार पर लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में डालने का आरोप लगाया और दावा किया कि अब सरकार विपक्ष विहीन संसद में बिना किसी चर्चा के महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवा सकती है।