केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज देव स्थानम बोर्ड के विरोध में आंदोलन कर रहा है। यह आंदोलन अब उग्र होता जा रहा है। देव स्थानम बोर्ड भंग करने के लिए यहां के पुरोहित मंदिर केदारनाथ मंदिर परिसर में अनोखा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां के पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने सात दिनों तक शीर्षासन करने का निर्णय लिया है, वे रोजाना सुबह, दोपहर और शाम 30-30 मिनट के लिए शीर्षासन की मुद्रा में बैठेंगे। यहां के पुजारी देवस्थानम बोर्ड को तत्काल भंग करने की मांग पर अड़े हैं।

इससे पहले भी साल 2020 में संतोष त्रिवेदी इसी तरह केदारनाथ में एक महीने से ज्यादा तक सुबह, दोपहर और शाम को अर्धनग्न होकर देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर चुके हैं। पुजारियों का कहना है कि बीजेपी सरकार द्वारा चारधाम तीर्थ पुरोहित समाज और हक-हकूकधारियों पर देवस्थानम बोर्ड थोपा गया है, यह उन्हें कतई मंजूर नहीं है।

पुरोहितों की मांग है कि सरकार पहले अपनी मंशा स्पष्ट कर दे उसके बाद ही तीर्थपुरोहितों से बातचीत करे। पुरोहितों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि कोरोना काल में यात्रा संचालन श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ मजाक है। आचार्य संतोष त्रिवेदी की मानें तो सरकार पहले स्थानीय लोगों से चर्चा करे, लोगों को विश्वास में लेकर ही यात्रा शुरू करें।

आचार्य संतोष त्रिवेदी ने देवस्थानम बोर्ड के गठन को सरकार का गलत निर्णय बताया है। उनका कहना है कि बीजेपी सरकार को इसका बुरा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। वे यात्रा शुरू करने और फिर यात्रा बंद करने के फैसले के बारे में कहते हैं कि बार बार निर्णय बदलने से सरकार का मजाक बन रहा है। श्रद्धालुओं के लिए यात्रा खोलने से पहले सरकार को तीर्थ पुरोहितों से विचार विमर्श करना चाहिए। पुरोहित का कहना है कि यात्रा खोलने को लेकर सरकार की मंशा साफ नहीं है। इससे पहले यमुनोत्री और गंगोत्री के पुरोहितों ने सरकार के बोर्ड गठन के फैसले को लेकर विरोध जताया था, उन्होंने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया था।

दरअसल चार धाम देवस्थानम मैनेजमेंट बोर्ड ने पुरोहितों को मंदिर के गर्भ गृह में जाने से रोक दिया था, तब से बोर्ड और पुरोहितों में विवाद बढ़ रहा है। इस विवाद की वजह से कुछ दिनों तक कपाट बंद किए गए थे, अब केदारनाथ मंदिर के सामने अनोखा आंदोलन हो रहा है |