नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राज्यों को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त करने के आदेश दिया है। केंद्र सरकार ने यह आदेश बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के मामले में 30 सितंबर को आने वाले फैसले के मद्देनजर दिए हैं। इस मामले में लखनऊ में एक विशेष सीबाआई कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। 

एक चेतावनी जारी करते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि फैसला कानून व्यवस्था पर असर डाल सकता है क्योंकि दोनों तरफ के कट्टरपंथी समूह फैसले से सैंप्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश करेंगे। केंद्र सरकार की चेतावनी के मुताबिक बहुत से मुस्लिम संगठन अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाखुश हैं और यह आशा कर रहे हैं कि बाबरी गिराए जाने के मामले में आरोपियों को सजा देने के फैसले से न्याय हो जाए। केंद्र सरकार ने कहा कि अगर फैसला उनके मन मुताबिक नहीं आता है तो वे विरोध प्रदर्शन भी कर सकते हैं। 

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केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि कुछ चरमपंथी समूह इस फैसले के बहाने सीएए-एनआरसी-एनपीआर विरोध प्रदर्शनों को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर सकते हैं। वहीं हिंदू संगठनों को आशा है कि फैसले में आरोपियों को बरी कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने कहा कि कुछ राज्यों में सांप्रदायिक तौर पर परिस्थितियां पहले से ही ठीक नहीं है, ऐसे में उन्हें खास ध्यान रखने की जरूरत है। सरकार ने कहा कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट पर खास नजर रखने की जरूरत है। 

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बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के मामले में 30 सितंबर को फैसला आना है। इसमें लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत बीजेपी के कई नेता आरोपी हैं। आरोप है कि इन नेताओं के भड़काऊ भाषणों के बाद उग्र हुई भीड़ ने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिरा दिया। अयोध्या भूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बाबरी मस्जिद को गिराया जाना गैरकानूनी था।