Babri Demolition Case: बाबरी विध्वंस मामले में उमा भारती ने लिखा पत्र, जेल जाना मंजूर, नहीं लूंगी जमानत

Babri Demolition Case: बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की नई टीम में शामिल होने पर उमा भारती ने लिखा खत, कुछ महीने गंगा अभियान के लिए समर्पित, चुनाव प्रचार में देंगी कम समय

Updated: Sep 29, 2020, 08:02 PM IST

Photo Courtesy: TV 9
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नई दिल्ली। अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को हुए विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी। सीबीआई के विशेष जज एस के यादव ने 28 साल बाद आ रहे इस फैसले के दिन सभी आरोपियों को अदालत में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। फैसले के पहले केस की आरोपी बीजेपी नेत्री उमा भारती ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले में जेल जाने को तैयार हैं, लेकिन जमानत नहीं लेंगी। मैं गंगा के लिए काम करुंगी। चुनाव प्रचार भी दो चार दिन ही करुंगी। आप विचार करें कि मुझे पदाधिकारियों की टीम में रख पाते हैं कि नहीं। 

उमा भारती ने यह खत 26 सितंबर को लिखा था। इसी दिन बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी कार्यकारिणी की घोषणा की थी। उन्होंने अपनी टीम में उमा भारती को शमिल नहीं किया है। अपने पत्र में उमा भारती ने लिखा है कि  30 सितंबर को लखनऊ की सीबीआई की विशेष अदालत में फैसला सुनने के लिए मुझे पेश होना है। मैं कानून को वेद, अदालत को मंदिर एवं जज को भगवान का रूप मानती हूं। इसलिए अदालत का हर फैसला मेरे लिए भगवान का आशीर्वाद होगा। 

उमा भारती ने कहा है कि मुझे अयोध्या आंदोलन में भागीदारी पर गर्व है। मैंने तो हमेशा कहा है कि अयोध्या के लिए तो फांसी भी मंजूर है। मैं नहीं जानती फैसला क्या होगा, लेकिन में अयोध्या पर जमानत नहीं लूंगी। जमानत लेने से आंदोलन में भागीदारी की गरिमा कलंकित होगी। ऐसे हालातों में आप मुझे नई टीम में रख पाते है कि नहीं इस पर विचार कर लीजिए।

उन्होंने लिखा है कि यह गर्व, आनंद और आश्चर्यपूर्ण विसंगति का विषय है कि जिस अयोध्या मामले में 2017 में सीबीआई ने मुझे साजिशकर्ता होने पर शक जताया, उसी का शिलान्यास प्रधानमंत्री जी ने 5 अगस्त 2020 को किया। माननीय अदालत इस पर जो फैसला देगी वह मेरे सिर माथे होगा।

उमा ने कहा कि मुझे आप 30 साल से जानते हैं। विचार-निष्ठा और परिश्रम ही मेरी राजनीति के आधार हैं। मैं राम मंदिर के लिए भी लड़ी और राम राज्य के लिए भी लड़ी। मैंने हिंदुत्व को सर्व समावेशी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसलिए दलित, आदिवासी, सभी वर्गों के गरीब और विशेषकर पिछड़ा वर्ग बीजेपी से जुड़ जाए और जुड़े रहे इसमें मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने लिखा कि पार्टी ने मुझे निकाल दिया था तब भी मैंने राष्ट्रवाद और इन वर्गों की चिंता नहीं छोड़ी थी। राम, गंगा, तिरंगा और वंचित वर्ग इनके लिए मेरी जान हाजिर है। राम मंदिर बन गया, लेकिन रामराज्य अभी बाकी है। मेरे सामने बहुत लंबी जिंदगी बाकी है, जो कि मैं अब राम राज्य के लिए लगाऊंगी। सरकारी तौर पर गंगा की कार्य योजना का प्रारंभ 2016 में हो गया, अभी परिणाम आते जा रहे हैं। गंगा की निर्मलता के लिए सामाजिक भागीदारी अभी शेष है। आने वाले कुछ महीने मैं फिर गंगा अभियान के लिए समर्पित करुंगी। बहुत जरुरत पड़ने पर दो चार दिनों के लिए चुनाव प्रचार में भाग ले सकती हूं। 

आखिर में उन्होंने लिखा है कि इसलिए मैं आपके विवेक पर छोड़ती हूं कि आप मुझे पदाधिकारियों की टीम में रख पाते हैं कि नहीं। मेरे लिए तो भगवान की कृपा और सर्वजन समाज का साथ ही मेरी शक्ति है। आप मेरे बारे में आंखें मूंद के फैसला ले सकते हैं। मैं तो बीजेपी की रिजर्व फोर्स हूं। जरूरत पड़ने पर हमेशा काम आऊंगी। 

ग़ौरतलब है कि बाबरी केस की आरोपी उमा भारती कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमित हो गई हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

बाबरी विध्वंस मामले में दर्ज हुई थी 49 एफआईआर, 49 अभियुक्त में से 17 की मौत

अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को हुए विवादित ढांचा विध्वंस मामले में कुल 49 एफआईआर दर्ज हुई थी। सीबीआई के विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव के सामने 351 गवाहों को पेश किया गया वहीं करीब 600 दस्तावेज भी सबूत के रूप पेश किए गए। 5 अक्टूबर 1993 को सीबीआई ने जांच के बाद मामले में कुल 49 अभियुक्तों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। इस फैसले के आने से पहले ही सीबीआई की ओर से आरोपपत्र में अभियुक्त बनाए गए 49 लोगों में से 17 की मौत हो चुकी है। इस केस में अभियुक्तों और सीबीआई ने कई बार हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को सीबीआई की विशेष अदालत को तय समय में सुनवाई पूरा करने के निर्देश दिए। एक सितंबर को इस मामले में बचाव और अभियोजन की बहस पूरी हुई थी। दो सितंबर 2020 से कोर्ट ने अपना फैसला लिखना शुरू कर दिया था।