दिल्ली। लाल किले पर एक महिला ने अपना अधिकार होने का दावा किया है। उसका कहना है कि वह आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर की पौत्र वधू है। सुल्ताना बेगम नाम की महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी लगाई थी, जिसे फिलहाल कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि 150 साल से ज्यादा का समय बीत गया। अब इस मामले में बहुत देर हो चुकी है। सुल्ताना बेगम की अर्जी में कहा गया था कि 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके लाल किले पर जबरन कब्जा कर लिया था।

दिल्ली कोर्ट ने याचिका की मेरिट पर विचार किए बिना ही इसे देरी से दाखिल करने के आधार पर खारिज कर दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट की एकल पीठ ने कहा है कि जब सुल्ताना बेगम के पूर्वजों ने लाल किले पर मालिकाना हक के दावे को लेकर कुछ नहीं किया, तो अब अदालत इसमें क्या कर सकती है। कोर्ट ने पूछा की अर्जी दायर करने में इतनी देरी क्यों हुई है, इस पर महिला का कहना है कि वे अनपढ़ हैं, इसलिए याचिका लगाने में देर हुई है।

दरअसल सुल्ताना बेगम आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर- II के पोते मिर्जा मोहम्मद बेदर बख्त की विधवा हैं। 22 मई 1980 को बेदर बख्त की मौत हो गई थी। दिल्ली हाइकोर्ट की जज रेखा पल्ली ने कहा कि 'वैसे मेरा इतिहास बहुत कमजोर है, लेकिन आप दावा करती हैं कि 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा आपके साथ अन्याय किया गया था तो अधिकार का दावा करने में 150 वर्षों से अधिक की देरी क्यों हो गई? आप इतने वर्षों से क्या कर रही थीं।'

महिला का कहना है कि लाल किले का मालिकाना हक उसे सौंपा जाए। उसका आरोप है कि भारत सरकार ने गैरकानूनी रूप से उनकी पैतृक संपत्ति पर कब्जा कर रखा है। महिला ने कोर्ट से मांग की कि उसे लाल किले का कब्जा वापस दिलाया जाय नहीं तो भारत सरकार को निर्देश देकर लाल किले के बदले में उसे उचित मुआवजा दिलवाया जाय।