रांची। झारखंड की राजधानी रांची में एक चौंकाने वाली घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ओरमांझी थाना क्षेत्र में साल 2022 में जब्त किए गए करीब 200 किलो गांजे को पुलिस कोर्ट में सबूत के रूप में पेश नहीं कर सकी। अदालत को बताया गया कि थाने के मालखाने में रखा यह मादक पदार्थ चूहों ने खा लिया। इस बयान के बाद कोर्ट ने मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही मानते हुए आरोपी को बरी कर दिया। बताया जाता है कि जब्त किए गए गांजे की बाजार में कीमत लगभग एक करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई थी।
पूरा मामला जनवरी 2022 से शुरू होता है जब ओरमांझी थाना पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि एक सफेद बोलेरो से बड़ी मात्रा में मादक पदार्थों की तस्करी हो रही है। पुलिस ने वाहन चेकिंग अभियान चलाया और रांची से रामगढ़ जाने वाली बोलेरो को रोका। पुलिस को देखते ही वाहन में बैठे अन्य लोग भाग निकले। लेकिन एक संदिग्ध पुलिस की पकड़ में आ गया। उसकी पहचान बिहार के वैशाली निवासी इंद्रजीत राय उर्फ अनुरजीत राय के रूप में हुई थी। तलाशी के दौरान बोलेरो से करीब 200 किलो गांजा बरामद किया गया था। इसके बाद एनडीपीएस एक्ट की गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया गया था।
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जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने चार्जशीट दायर की और अदालत में सुनवाई शुरू हुई। लेकिन सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब साक्ष्य पेश करने के दौरान पुलिस न तो जब्त गांजा दिखा सकी और न ही इसके सुरक्षित रखे जाने से जुड़े पुख्ता दस्तावेज। अदालत को बताया गया कि मालखाने में रखा गांजा चूहों ने नष्ट कर दिया और इस संबंध में 2024 में सनहा भी दर्ज किया गया था। अदालत ने इस स्पष्टीकरण को सबूतों की सुरक्षा में गंभीर चूक माना और कहा कि जब्त मादक पदार्थों की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। सबूत गायब होने के चलते पूरा केस कमजोर पड़ गया और आरोपी को रिहा कर दिया गया।
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इस घटना ने सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इतने बड़े पैमाने पर जब्त मादक पदार्थ पुलिस निगरानी में कैसे नष्ट हो गया, सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी किसकी थी और आखिर ऐसी संवेदनशील सामग्री मालखाने में बिना पर्याप्त निगरानी के कैसे पड़ी रही? यह मामला अब लापरवाही का बड़ा उदाहरण बनकर उभर रहा है और पुलिस विभाग की साख पर भी असर डाल रहा है। फिलहाल आरोपी बरी है। जबकि, पुलिस जांच और जवाबदेही को लेकर सवालों के घेरे में है।
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