पटना। बिहार चुनाव के रुझानों के मुताबिक इस बार लेफ्ट पार्टियां एक बार फिर से अपना परचमन लहराने को तैयार दिख रही हैं। महागठबंधन की अगुवाई में चुनाव लड़ रहे वाम दलों के उम्मीदवार बिहार के 18 विधानसभा सीटों पर बढ़त में हैं। इनमें सबसे अधिक एक दर्जन सीटों पर माले आगे चल रही है।

ताजा रुझानों के मुताबिक लेफ्ट पार्टियां - सीपीआई, सीपीआई (एम) और सीपीआई (एमएल), जो कांग्रेस और आरजेडी के साथ महागठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं उनके उम्मीदवार अगियाओं, आरा, अरवल, बलरामपुर, विभूतिपुर, दरौली, दरौंधा, डुमरांव, घोसी, काराकाट, मंझी, मटिहानी, पालीगंज, तरारी, वारिसनगर, जीरादेई, बछवाड़ा और बखरी सीटों पर आगे चल रहे हैं।

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पिछले दो विधानसभा चुनावों में प्रदेश में हाशिए पर आ चुकी लेफ्ट पार्टियों के इस प्रदर्शन ने महागठबंधन को अप्रत्याशित मजबूती दी है। एक समय में बिहार की राजनीति में अपना दबदबा रखने वाली लेफ्ट पार्टियां साल 2010 के विधानसभा चुनावों के दौरान सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब हो पाई थी। वहीं साल 2015 में लेफ्ट के खाते में तीन सीटें आई थी।

इस साल बिहार चुनावों में महागठबंधन ने वाम दलों को 29 सीटें दी थी। इनमें सीपीआई (एमएल) को 19 सीटें, सीपीआई को छः और सीपीआई (एम) को चार सीटें मिली थी। चुनाव के बाद एग्जिट पोल्स ने भी वाम दलों के इस जीत के बारे में दावे किए थे। इंडिया टूडे एक्सिस पोल ने तो भविष्यवाणी की थी कि सीपीआई (एमएल) 19 में से 12 से 16 सीटें जितने में कामयाब हो सकती है।

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वामदलों की इस अप्रत्याशित जीत के पीछे उनके कैडर की मुख्य भूमिका मानी जा रही है जिन्होंने आर्थिक और सामाजिक न्याय के संदेश को आक्रामक रूप से बढ़ावा दिया। हालांकि, महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस भी कैडर आधारित दल हैं जिसका फायदा भी लेफ्ट उम्मीदवारों को मिली और वह जीत के ओर अग्रसर हुए।