छतरपुर। 'लॉकडाउन और पारिवारिक दिक्कतों के कारण मैं बिजली बिल नहीं दे पाया। बकाया बिजली बिल के लिए विभाग के कर्मचारी लगातार मुझे परेशान कर रहे हैं। यहां तक कि मेरी बाइक, चक्की और मोटर भी उठा ले गए। गांव वालों के सामने खूब भला बुरा भी बोला। मैं यह सब नहीं सहन कर पा रहा हूं। मेरे मरने के बाद मेरा शरीर सरकार को सौंप दिया जाए और मेरे शरीर का एक-एक टुकड़ा बेचकर बिजली विभाग का बकाया कर्ज चुका दिया जाए।' यह बातें एक बेबस किसान ने अपने सुसाइड नोट में लिखी है, जो उसके आत्महत्या करने के बाद पुलिस ने बरामद किया है।

दरअसल, मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के मातगुवां में रहने वाले किसान मुनेंद्र राजपूत ने बुधवार की दोपहर करीब 1 बजे गांव के ही एक पेड़ पर फांसी का फंदा डालकर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या के अगले दिन उसके द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट को पुलिस ने जब्त किया। इस नोट में मुनेंद्र ने बताया है कि बकाया बिजली बिल के लिए बिजली विभाग के कर्मचारी किस तरह से उन्हें प्रताड़ित करती थी। मृतक पर बिजली विभाग के 88 हजार रुपए बकाया हैं। 

किसान ने अपने सात पन्नों के सुसाइड नोट में बताया है कि उसकी तीन बेटियां और एक बेटा है। इनमें से किसी की भी उम्र 16 वर्ष से अधिक नहीं है। बताया जा रहा है कि बिल न भरने के कारण विभाग के अधिकारियों ने उसके घर कुर्की जब्ती की थी। इस दौरान उसकी चक्की, मोटर और बाइक को विभाग के कर्मचारी उठाकर ले गए थे वहीं पूरे गांव वालों के सामने उसकी खूब बेज्जती भी की गई थी। विभाग के प्रताड़ना से आहत होकर उसने आत्महत्या कर लिया और अपने शव के टुकड़ों को बेचकर बिजली विभाग का बकाया भरने की बात कही।

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पिता भी थे बिजली विभाग में, भाई मीटर रीडर

हैरानी की बात यह है कि बिजली विभाग की प्रताड़ना के कारण जिस किसान ने आत्महत्या की है उसके पिता खुद विद्युत वितरण कंपनी में काम करते थे और अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इतना ही नहीं उसका भाई भी बिजली विभाग के लिए ही काम करता है और फिलहाल वह मीटर रीडर है। इस मामले में एएसपी समीर सौरव ने कहा है कि किसान के खुदकुशी करने की जांच हो रही है। बिजली बिल न देने पर विभाग के लोग कुर्की की कार्रवाई करते हुए उसकी बाइक ले गए थे। ऐसे में ये कारण हो सकता है लेकिन फिलहाल ये पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।