नई दिल्ली। कोरोना के संकट काल में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सांसद निधि को फिर से बहाल करने की मांग की है। इसके लिए कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। राज्यसभा सांसद श्री सिंह ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि सरकार स्थगित की गई सांसद निधि को फिर से बहाल करे, ताकि सभी सांसद अपने क्षेत्र की जनता को कोरोना के संकट से उबारने में मदद कर सकें। 

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मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि पिछले वर्ष कोरोना महामारी के कारण केंद्र सरकार ने दो वर्षों के लिए सांसद निधि स्थगित कर दिया था। सांसद निधि के ही माध्यम से संसद सदस्यों को अपने क्षेत्र में विकास कार्य करने में मदद मिलती है। दिग्विजय सिंह के कहा है कि एक साल से सभी सांसद इस निधि से वंचित हैं, वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी कई गुना रफ्तार से फैलती जा रही है।

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि वे तत्काल प्रभाव से सांसदों को सांसद निधि दिलाएं। ताकि हम लोग इस बीमारी से पीड़ित लोगों की जांच एवं इलाज में उपयोग उपचार सामग्री मुहैया करा सकें। राज्यसभा सांसद ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि जगह जगह से हम लोगों को ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, वेंटिलेटर, सीटी स्कैन मशीन, रेमडेसिविर की खरीद की मांग की जा रही है।

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बजट सत्र के दौरान भी कुछ राज्यसभा सांसदों ने सांसद निधि रोके जाने पर सवाल उठाए थे। सांसदों ने सरकार से पूछा था कि क्या दो वर्ष से पहले सांसद निधि जारी हो पाएगी? क्योंकि इससे क्षेत्र में विकास कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। इस पर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने लिखित जवाब देते हुए कहा था कि फिलहाल सरकार सांसद निधि के फंड से रोक हटाने पर विचार नहीं कर रही है।

लेकिन अब कोरोना के इस विस्फोटक समय में लोग अपने जनप्रतिनिधियों से मदद की गुहार कर रहे हैं तो जो नेता लोगों के बीच है, वही मदद कर सकता है, इसलिए सरकार सेंट्रलाइज करने की बजाय रात के काम को डीसेंट्रलाइज़ करे। कोरोना काल में ग्रामीण इलाकों से उठनेवाली अनेक आवाज़े संसद या केंद्र सरकार तक नहीं पहुंच पाती। कई बार राज्य सरकार की मशीनरी भी उनतक मदद नहीं पहुंचाती। ऐसे में स्थानीय लोग जनप्रतिनिधियों की तरफ आस से देखते हैं।

केंद्र सरकार ने 3 दिन पहले यानी 24 अप्रैल को ही देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू करने के संदर्भ में बड़े बड़े कार्यक्रम किए हैं। प्रधानमंत्री खुद उसका हिस्सा बने। लेकिन पंचायती राज का मूल सिंद्धांत, जिसमें सत्ता के विकेंद्रीकरण को प्रमुख माना गया है, उसे अमल में लाने की वास्तविक पहल सरकारों की तरफ से नहीं दिख रही है। ऐसे में, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का सांसद निधि को बहाल करने की मांग को विकेंद्रकरण के तहत जनता तक लाभ की योजनाएं ले जाने के तौर पर देखा जा रहा है। ताकि स्थानीय स्तर पर सक्रिय जनप्रतिनिधि कोरोना महामारी से निपटने के लिए अपने क्षेत्र की जनता को पर्याप्त मदद कर सकें।