नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक चीनी नागरिक के खिलाफ फर्जी या संदिग्ध कंपनियों का उपयोग करके अनुमानत: 1,000 करोड़ रुपये का हवाला रैकेट चलाने के आरोप में मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने 42 वर्षीय चार्ली पेंग उर्फ लुओ सांग के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धाराएं लगाई हैं, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वह इस रैकेट का सरगना है।

पेंग और उसके कुछ कथित सहयोगियों के खिलाफ 12 अगस्त को आयकर विभाग ने छापेमारी की थी जिनमें भारतीय और बैंककर्मी शामिल हैं। आयकर अधिकारियों ने गुरूग्राम में पेंग के परिसर सहित कम से कम दो दर्जन परिसरों पर छापेमारी की थी। अधिकारियों ने बताया कि ईडी ने पेंग के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आपराधिक मामला दर्ज करने से पहले आयकर विभाग के साक्ष्य एवं कार्रवाई और पेंग के खिलाफ दिल्ली पुलिस के विशेष सेल द्वारा दर्ज की गई एफआईआर का संज्ञान लिया है।

पेंग पर आरोप है कि उसके पास एक फर्जी भारतीय पासपोर्ट है और आयकर अधिकारियों ने कहा था कि उसने पिछले दो-तीन सालों में ‘‘चीन से हवाला राशि इधर- उधर करने के लिए नकली कंपनियों का जाल बनाया है।’’

उन्होंने कहा कि दिखावे के लिए उसका व्यवसाय चिकित्सा और इलेक्ट्रॉनिक सामान और कुछ अन्य वस्तुओं के आयात और निर्यात का था।

सूत्रों ने कहा कि पेंग को धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में सितंबर 2018 में दिल्ली पुलिस के विशेष सेल द्वारा गिरफ्तार किया गया था और वह कथित रूप से एक अवैध ‘मनी चेंजर’ चला रहा था। यह भी आरोप है कि पेंग ने मणिपुर की एक महिला से शादी करने के बाद राज्य से एक फर्जी भारतीय पासपोर्ट प्राप्त किया था। उसके खिलाफ छापेमारी के दौरान कुछ फर्जी आधार कार्ड भी बरामद किए गए थे। पेंग से वर्तमान में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अलावा आयकर विभाग द्वारा भी पूछताछ की जा रही है।

आयकर विभाग इस मामले में फर्जी फर्मों से जुड़े दर्जनों बैंक खातों की खोजबीन कर रहा है, यहां तक कि इसने इन खातों के खिलाफ कई प्रतिबंधात्मक आदेश भी जारी किए हैं। बताया जा रहा है कि आयकर विभाग और ईडी, दोनों इन आरोपों की जांच कर रहे हैं क्या पेंग दिल्ली में रह रहे कुछ तिब्बतियों को ‘‘रिश्वत’’ दे रहा था ताकि उनसे कुछ काम करवाया जा सके।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पिछले सप्ताह एक बयान जारी किया था और कोई नाम लिए बिना कहा था कि छापेमारी इस ‘‘विश्वसनीय जानकारी के आधार की गई थी कि कुछ चीनी व्यक्ति और उनके भारतीय सहयोगी फर्जी इकाइयों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला लेनदेन में लिप्त हैं।’’

बोर्ड ने एक बयान में कहा था, ‘‘छापेमारी की कार्रवाई में यह पता चला कि चीनी नागरिकों के कहने पर 40 से अधिक बैंक खाते विभिन्न काल्पनिक इकाइयों में खोले गए, जिनमें 1,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि डाली गई दिखाई गई।’’