नई दिल्ली। केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसान यूनियनों ने सभी प्रदर्शन स्थलों पर आज एक दिन की भूख हड़ताल का फैसला किया है। साथ ही किसान यूनियनों ने यह एलान भी किया है कि 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे। किसानों के इस एलान को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक बार फिर किसानों को बातचीत का न्योता भेजा है और किसान यूनियनों से उसके लिए तारीख तय करने को कहा है।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने अगले दौर की बातचीत को लेकर किसान संगठनों को एक पत्र लिखा है। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एक या दो दिन में प्रदर्शनकारी समूहों से उनकी मांगों पर बातचीत कर सकते हैं। 

किसानों से वार्ता के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में एक मंत्रिस्तरीय समिति गठित की थी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश इसके सदस्य हैं। सरकार से किसानों की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है। किसानों के संगठनों की एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है। इसके बाद सरकार की ओर से किसान संगठनों को पत्र भेजा जा रहा है वहीं किसान नेता खुला पत्र जारी कर रहे हैं।

किसान संगठन केंद्र सरकार को लगातार आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दे रहे हैं। स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'सोमवार को किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ सभी प्रदर्शन स्थलों पर एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे। इसकी शुरुआत सिंघु बॉर्डर के प्रदर्शन में शामिल 11 सदस्यों की एक टीम करेगी। हम देशभर में सभी प्रदर्शन स्थलों पर मौजूद सभी लोगों से इसमें भाग लेने की अपील करते हैं।' यादव ने कहा, 'प्रदर्शनकारियों को हरियाणा सरकार द्वारा धमकाया जा रहा है। यह उच्चतम न्यायालय के निर्देश के विरुद्ध है। मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि किसानों को परेशान करना बंद किया जाए।'

इसके पहले प्रदर्शनकारी किसानों ने कल यानी रविवार को श्रद्धांजलि दिवस भी मनाया और उन किसानों को श्रद्धांजलि दी जिनकी मौत जारी आंदोलन के दौरान हुई है। किसान संगठनों ने बताया है कि अबतक आंदोलन में शामिल 30 से अधिक किसानों की दिल का दौरा पड़ने और सड़क दुर्घटना जैसे विभिन्न कारणों से मौत हुई है। दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान कड़ाके की सर्दी में बीते करीब चार हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, इनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों के किसान भी प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं।