नई दिल्ली। दिल्ली में गणतंत्र दिवस को आयोजित होने वाले ट्रैक्टर परेड को लेकर अब तक किसान और दिल्ली पुलिस एकमत नहीं हो पाए हैं।गणतंत्र दिवस पर आयोजित होने वाली ट्रैक्टर रैली को लेकर दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच आज दूसरे दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। 

हम दिल्ली में ही परेड करेंगे : योगेंद्र यादव 
दिल्ली पुलिस अधिकारियों से हुई बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली पुलिस चाहती है कि किसान दिल्ली के बाहर परेड करें। लेकिन हम हर हाल में दिल्ली में ही परेड निकालेंगे। यादव ने कहा कि परेड पूर्णतः शांतिपूर्ण होगा।

यह भी पढ़ें : Supreme Court: किसानों को परेड की इजाज़त देने पर दिल्ली पुलिस करे फ़ैसला

किसानों और दिल्ली पुलिस के बीच यह बैठक सिंघु बॉर्डर के नजदीक मंत्रम रिजॉर्ट में हुई थी। इस बैठक में Northern Range के पुलिस कमिश्नर एसएस यादव, स्पेशल कमिश्नर संजय सिंह, स्पेशल कमिश्नर इंटेलिजेंस दीपेंद्र पाठक के साथ दिल्ली, हरियाणा और यूपी पुलिस के भी सीनियर अधिकारी शामिल थे। इससे पहले भी किसान दिल्ली पुलिस के सुझाव को सिरे से खारिज कर चुके हैं।

गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान शहर के आउटर रिंग रोड इलाके में ट्रैक्टर परेड निकालना चाहते हैं जबकि दिल्ली पुलिस किसानों को सुरक्षा का हवाला देते हुए कुंडली मानेसर पलवल एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए कह रही है। लेकिन किसान अपनी बात पर अड़े हुए हैं।

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने किसानों की ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था लेकिन कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि कोर्ट किसानों को दिल्ली में परेड करने से नहीं रोक सकता। 

किसान लगभग दो महीने से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार मॉनसून सत्र में लाए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले ले। लेकिन केंद्र सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। किसान अपनी मांग मंगवाने पर अड़े हैं और वो गणतंत्र दिवस को अपनी तरह से मनाना चाहते हैं। उनका कहना है कि वो ट्रैक्टर रैली करके जनता को जागरूक करेंगे और यह एक तरह से सरकारी नहीं बल्कि जन भागीदारी वाला गणतंत्र दिवस होगा। इसलिए इस पर उनकी तैयारी काफी दिनों से चल रही है। किसानों ने सरकार के उस ऑफर को भी अभी स्वीकार नहीं किया है कि इन कानूनों को अट्ठारह महीने के लिए टाल दिया जाए। किसान इसे पूरी तरह खत्म कराना चाहते हैं।