नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना काल में नए रोजगार पैदा करने के दाव के साथ आज आत्मनिर्भर भारत योजना का एलान किया। उन्होंने ऐसे आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, जिससे विभिन्न सेक्टरों में रोज़गार बढ़ने का दावा किया जा रहा है। वित्त मंत्री ने इस योजना का एलान गुरुवार की दोपहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया, जिसमें उन्होंने नए एलानों के अलावा सरकार के पिछले कदमों की जानकारी भी दोहराई।

वित्त मंत्री ने आज घर खरीदने वालों को टैक्स में छूट देने का एलान भी किया। इसके अलावा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 3 हजार करोड़ रुपये की मदद की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री ने बताया कि योजना के तहत हेल्थकेयर समेत 26 संकटग्रस्त सेक्टरों को ज्यादा कर्ज मुहैया कराया जाएगा। छोटे उद्योगों को मूलधन पर एक साल के लिए कर्ज न चुकाने की छूट भी मिलेगी। 

निर्मला सीतारमण ने कहा कि एक लंबे और कड़े लॉकडाउन के दौरान गिरावट की शिकार हुई भारतीय अर्थव्यवस्था में अब ज़बरदस्त सुधार देखने को मिल रहा है। कंपनियों के कारोबार की गति का संकेत देने वाला कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्टूबर में बढ़कर 58.9 रहा, जो इससे पिछले महीने में 54.6 था। अक्टूबर के दौरान ऊर्जा की खपत में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि जीएसटी संग्रह 10 प्रतिशत बढ़कर 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। सरकार ने कल ही घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के इरादे से 10 और क्षेत्रों के लिए दो लाख करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं को मंजूरी दे दी थी। 

ख़ास बात यह है कि केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ संगठित क्षेत्र के ईपीएफओ में पंजीकृत कम्पनियों और उनके 15 हज़ार से कम वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों को मिलेगा। यह स्कीम 1 अक्टूबर से लागू मानी जाएगी और अगले दो साल तक लागू रहेगी। केन्द्र सरकार इस योजना के तहत आने वाले कर्मचारियों के ईपीएएफ कंट्रीब्यूशन पर सब्सिडी भी देगी। 

सरकार ने कंस्ट्रक्शन एवं इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बयाना जमा राशि (ईएमडी) में राहत दी है। इसके तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट पर परफॉर्मेंस सिक्योरिटी को 5 से 10 प्रतिशत से घटाकर अब 3 प्रतिशत कर दिया है। यह वर्तमान में चल रहे कॉन्ट्रैक्ट पर भी लागू होगा। यह सरकारी कंपनियों पर भी लागू होगा। राज्य चाहें तो वो इसे लेने के लिए कंपनियों को उत्साहित कर सकते हैं। इसके तहत टेंडर्स के लिए कोई ईएमडी की जरूरत नहीं होगी। यह राहत 31 दिसंबर, 2021 तक दी जाएगी जो जनरल फाइनेंशियल रूल्स के तहत होगा। इससे कॉन्ट्रैक्टर्स को कैपिटल के लॉक इन और उस पर लगने वाले ब्याज में राहत मिलेगी।