नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच जीएसटी परिषद की बैठक जारी है। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब पिछले चार महीनों से केंद्र सरकार ने राज्यों को मुआवजा नहीं दिया है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का कहना है कि राज्यों को मुआवजा देना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

दूसरी तरफ इस राशि को चुकाने का केंद्र सरकार का इरादा नहीं है। सोनिया गांधी से लेकर ममता बनर्जी तक विपक्ष के कई नेता केंद्र द्वारा भुगतान पर जोर डाल रहे हैं। 

मीटिंग की मुख्य बातें

1. कोरोना वायरस के कारण राज्यों की आर्थिक हालत खस्ता है। ऐसे में उन्हें चार महीनों से जीएसटी मुआवजा नहीं मिला है। कई राज्यों में सरकारी कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला है। ऐसे में राज्य केंद्र सरकार से लगातार भरपाई राशि देने की मांग कर रहे हैं। 

2. भरपाई की राशि पर विवाद होने की स्थिति में राज्य केंद्र सरकार से इसके निपटारे के लिए एक अलग मेकेनिज्म बनाने की मांग कर सकते हैं। राज्य केंद्र सरकार से जीएसटी परिषद में उपाध्यक्ष का पद भी मांग सकते हैं। 

3. जीएसटी नियमों के तहत केंद्र सरकार को पांच वर्षों तक मुआवजा भुगतान करना है। यह पूरी तरह से संवैधानिक है। हालांकि, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इस तरह का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। दूसरी तरफ अटॉर्नी जनरल केंद्र सरकार को मुआवजा भुगतान करने की सलाह दे चुके हैं। 

4. केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य सरकारें अपने मुआवजे की भरपाई उधार लेकर करें। दूसरी तरफ राज्य चाहते हैं कि अगर उधार लेना है तो वो केंद्र सरकार ले और फिर उन्हें पैसे दे। 

5. पिछले साल के मुकाबले चालू वित्त वर्ष की पहले चार महीनों में मुआवजा कर संग्रह में 33 प्रतिशत की कमी आई है। केंद्र सरकार बार-बार इसका हवाला देकर कह रही है कि उसके पास राज्यों को देने के लिे पैसे नहीं हैं। 

6. कर संग्रह को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार वस्तुओं एवं सेवाओं पर जीएसटी में वृद्धि कर सकती है। कोरोना वायरस के कारण करोड़ो लोगों की नौकरियां चली गई हैं और महंगाई भी आसमान छू रही है। ऐसे में कर वृद्धि पहले से जूझ रही जनता की परेशानियां और बढ़ा देगी।