चंडीगढ़। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के बीच अब हरियाणा में बीजेपी सरकार के ऊपर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। हरियाणा की खट्टर सरकार पर दबाव बढ़ता ही जा रहा है। राज्य में बीजेपी का समर्थन कर रही जेजेपी व कई निर्दलीय विधायक कृषि कानूनों के खिलाफ हैं और इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस ने भी अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

राज्य में बढ़ रहे राजनीतिक अस्थिरता के बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की है। जानकारों की मानें तो जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के अध्यक्ष के तौर पर दुष्यंत चौटाला ने कृषि कानूनों को लेकर सख्त रुख नहीं अपनाया, तो कई विधायक उनके खिलाफ जा सकते हैं। चूंकि जेजेपी को ग्रामीण क्षेत्रों से समर्थन मिला था। ऐसे में सरकार में बने रहने के लिए दुष्यंत चौटाला किसानों के हितों की अनदेखी करते हैं, तो उन्हें अपने विधायकों को एकजुट रखना मु्श्किल होगा।

यदि जेजेपी के कुछ विधायक अपनी पार्टी के खिलाफ रुख अपनाते हैं, तो निर्दलीय विधायक भी पाला बदल सकते हैं। हरियाणा में मनोहर लाल सरकार को जेजेपी के 10 और सात निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला ने भी किसानों के समर्थन में विधानसभा से इस्तीफा देने का ऐलान किया है जिससे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ा है। ऐसे में बीजेपी हर हाल में जेजेपी और निर्दलीय विधायकों को एकजुट रखना चाहती है। इसी के मद्देनजर दुष्यंत चौटाला की अमित शाह के साथ मीटिंग और निर्दलीय विधायकों की सीएम खट्टर के साथ लंच रखा गया।

वहीं कांग्रेस भी लगातार खट्टर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। पूर्व सीएम भूपेंद्र्र सिंह हुड्डा पहले ही राज्य सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का ऐलान कर चुके हैं। कांग्रेस का मानना है कि दुष्यंत चौटाला सरकार का साथ नहीं छोड़ेंगे लेकिन जेजेपी विधायक बगावत का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं। अविश्वास प्रस्ताव के पीछे भी कांग्रेस की यही रणनीति है ताकि किसानों के सामने दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सके।