मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में शराब दुकान खोलने के निर्णय के लिए शराब ठेकेदारों ने हाई कोर्ट की शरण ले ली है। प्रदेश के 30 शराब ठेकेदारों ने सरकार के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मंगलवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एके मित्तल व न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने शराब ठेकेदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब शराब दुकानों के खुलने का निर्धारित समय कम कर दिया गया है तो इनके ठेकों की पूर्व निर्धारित रकम क्यों नहीं घटाई जा रही है?

Click  शराब के लिए जोखिम में जान

अधिवक्ता राहुल दिवाकर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट को तर्क दिया कि लॉकडाउन के चलते 40 दिन दुकानें बंद रहीं। अब इन्हें खोलने की अनुमति भी दी गई है, तो कठोर शर्तों के साथ। इनके तहत जबलपुर, भोपाल आदि शहरी इलाकों में अभी भी दुकानें खोलने की अनुमति नही दी गई। जहां इज़ाज़त दी गई है, वहां भी महज 4-5 घण्टे शराब दुकानें खोली जा सकती हैं। अहाता के संचालन पर अभी भी प्रतिबंध लगा हुआ है। अधिवक्ता दिवाकर ने कहा कि इसके चलते याचिकाकर्ता ठेकेदारों को तगड़ा नुकसान हो रहा है। फिर भी राज्य सरकार ने ठेकों की निर्धारित राशि (बिड) कम करने के लिए कोई पहल नहीं की है। ऐसे में याचिकाकर्ताओं के लिए पूर्व में तय की गई ठेकों की राशि(बिड) नुकसान के उचित अनुपात में कम की जाये। सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने रखा। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया।