नई दिल्ली। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद का एक पोस्टर सोशल मीडिया पर मचे बवाल की जड़ बना हुआ है। आईसीएचआर ने आज़ादी अमृत महोत्सव के अपने पोस्टर में स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर के साथ स्वतंत्रता सेनानी और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को जगह नहीं दी है। जिसका सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हो रहा है। लोग प्रधानमंत्री से बड़ा दिल रखने के लिए कह रहे हैं।  



सोशल मीडिया यूज़र्स के साथ साथ देश के तमाम जाने माने पत्रकार, नामचीन हस्तियां और कांग्रेस के नेता आईसीएचआर के इस पोस्टर का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि आईसीएचआर ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जगह देने के साथ साथ भारत की आज़ादी के आंदोलन के समय के विवादित चेहरों में से एक रहे विनायक दामोदर सवारकर को जगह दी गई है।





देश का बहुत बड़ा तबका सावरकर को गद्दारों की श्रेणी में रखता है। ऐसे लोगों का यह मत है कि सावरकर ने अंग्रेज़ों की यातनाओं से डरकर माफी मांग ली थी और आजीवन ब्रिटिश सरकार का वफादार रहने की कसमें तक खाई थीं। दक्षिणपंथी विचारधारा सावरकर को अपना नायक मानती रही है। सावरकर की तस्वीर को जगह दिए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि माफीखोर की तस्वीर लगाने वाले और लगाने का निर्देश देने वाले को माफी मांगनी चाहिए।  





बहरहाल, आईसीएचआर के इस पोस्टर के विरोध में लोग सोशल मीडिया पर तरह तरह की प्रतिक्रिया ज़ाहिर कर रहे हैं। लेकिन सबसे तीखी प्रतिक्रिया कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की ओर से आयी है। कांग्रेस नेता ने बिना नाम लिए कहा है कि कितनी भी कोशिश कर ले बौना तो बौना ही रहेगा। पवन खेड़ा ने कहा है कि नेहरू जी की फ़ोटो हटाने से क्या खुद का क़द बढ़ जाएगा? बौना, बौना ही रहेगा।