उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हाथरस कांड में पीड़ित लड़की साथ हुई घटना से ज्यादा अहमियत जातीय दंगे भड़काने की कथित साजिश को दे रही है। अपनी इसी रणनीति पर चलते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस ने मथुरा टोल प्लाजा से गिरफ्तार केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन समेत चार लोगों पर आतंकवाद विरोधी कानून की धाराएं लगा दी हैं। पत्रकार सिद्दीक कप्पन दिल्ली में रहकर एक मलयाली न्यूज वेबसाइट अजीमुखम के लिए रिपोर्टिंग करते हैं। वे केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट की दिल्ली इकाई के सचिव भी हैं, जिसने उनकी रिहाई की मांग की है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी कप्पन की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए उन्हें रिहा करने की मांग की है।

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कप्पन की वेबसाइट अजीमुखम के संपादक केएन अशोक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि गिरफ्तार होने से पहले उन्होंने कप्पन से बात की थी और कप्पन एक वरिष्ठ रिपोर्टर होने के नाते मथुरा की घटनाओं को कवर करने के लिए वहां जा रहे थे। हालांकि, उसके बाद उनसे संपर्क नहीं हो सका। संपादक ने बताया कि कप्पन के साथ गिरफ्तार किए गए बाकी तीन लोगों को वो नहीं जानते। दूसरी तरफ केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट की दिल्ली इकाई ने कप्पन की रिहाई के लिए पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। पत्र में कप्पन की गिरफ्तारी को संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन बताया गया है।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी बयान जारी कर कहा है कि हाथरस मामले में अपने पुलिस-प्रशासन की संदिग्ध और संभवत: आपराधिक कार्रवाई को छिपाने और इस वीभत्स घटना पर राजनीतिक नेतृत्व की चुप्पी से ध्यान भटकाने के लिए यूपी सरकार इस तरह के बाटने वाले हथकंडे अपना रही है।

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दरअसल, हाथरस मामले में पुलिस और प्रशासन की तमाम विफलताओं के चलते योगी सरकार पर सवाल उठे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पूरे मामले को असाधारण और स्तब्ध करने वाला बताया है। इन सवालों के बीच यूपी सरकार हाथरस में 21 साल की युवती के साथ हुई दरिंदगी की वारदात में  अचानक प्रदेश में जातीय दंगे की साज़िश की थ्योरी लेकर आ गई। इसी के आधार पर यूपी पुलिस ने अलग-अलग जगहों पर 21 एफआईआर दर्ज की हैं।

उधर, गुजरात सरकार ने भी हाथरस कांड के विरोध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा, वर्किंग प्रेसिडेंट हार्दिक पटेल और विधायक जिग्नेश मेवानी को नजरबंद कर दिया है। ये लोग एक रैली निकालने वाले थे। इस रैली को प्रतिकार यात्रा का नाम दिया गया था। लेकिन रैली से पहले ही सभी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया।