Hathras Horror: कोर्ट में योगी सरकार ने कहा, रात में शव इसलिए जलाया क्योंकि दिन में हिंसा भड़क सकती थी

SC Hearing: यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, दिन में शवदाह होने पर लाखों की भीड़ जुट सकती थी, हालांकि इसी सरकार ने 12 गांवों की सवर्ण पंचायत नहीं रोकी

Updated: Oct 07, 2020, 03:07 PM IST

नई दिल्ली। हाथरस मामले में पीड़िता का शव अमानवीय तरीके से रात में जलाने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की सफाई आई है। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए यूपी सरकार ने कहा कि पीड़िता का शव रात में इसलिए जलाया गया क्योंकि दिन में हिंसा होने की आशंका थी। सरकार ने कहा कि उसे जानकारी मिली थी कि दिन में हजारों प्रदर्शनकारी इकट्ठे हो सकते हैं और निहति हित वाली ताकतें जातीय हिंसा भड़का सकती हैं। सरकार ने यह भी कहा कि शव जलाने से पहले परिजनों की अनुमति ली गई थी और उनकी मौजूदगी में ही शव जलाया गया था। हालांकि, परिवार बार-बार आरोप लगाता आया है कि प्रशासन ने ऐसी कोई मंजूरी नहीं ली, यहां तक कि शव को एक बार घर भी नहीं लाने दिया। पीड़िता का शव रात में जलाने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन की बहुत आलोचना हुई है। 

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हालांकि, हिंसा जातीय हिंसा भड़कने का दावा करने वाली यूपी सरकार ने हाथरस जिले में 12 गांवों की सवर्ण पंचायत की बैठक को होने से नहीं रोका। इस पंचायत में यह तय किया गया कि बलात्कार के आरोपियों का समर्थन किया जाएगा। यहां तक की इलाके के विधायक और सांसद ने भी आरोपियों का साथ देने की बात कही। सांसद राजवीर सिंह दिलेर तो जेल में आरोपियों से भी मिलकर आए। 12 गांवों की सवर्ण पंचायत में भी हजारों लोग इकट्ठा हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ अराजक लोगों ने पीड़िता के परिवार को धमकियां भी दी हैं। 

यूपी सरकार ने यह हलफनामा उस याचिका के जवाब में दाखिल किया है, जिसमें हाथरस मामले की जांच दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ सही कार्रवाई नहीं की है। सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे, वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने यह याचिका दायर की है। मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या मौजूदा या फिर हाई कोर्ट जज के नेतृत्व में जांच कराई जाए। याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने ऊंची जाति के आरोपियों को बचाने की कोशिश की। ऊंची जाति के लोगों ने परिवार का शोषण किया और पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया। 

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यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि मामले में सही तरीके से जांच करने के बाद भी कुछ निहित हित वाली ताकतें झूठा नैरेटिव चलाने लगीं। सरकार ने कहा कि इस मामले में उसने एसआईटी का गठन किया है और सीबीआई जांच की भी सिफारिश की है। अब तक इस मामले में पांच पुलिसकर्मी सस्पेंड किए जा चुके हैं।