त्रिवेंद्रम। केरल में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सीएम कैंडिडेट रहे मेट्रोमैन श्रीधरन ने राजनीति छोड़ने का ऐलान किया है। मेट्रोमैन ने कहा है कि हार ने मुझे समझदार बना दिया है। उन्होंने कहा कि हारने से मुझे दुःख तो हुआ था लेकिन जीतने के बाद भी मैं कुछ काम नहीं कर पाता।

90 वर्षीय श्रीधरन ने गुरुवार को अपने पैतृक शहर पोन्नानी में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि, 'विधानसभा चुनाव में मिली हार ने मुझे समझदार बना दिया। जब मैं हार गया तो मैं दुःखी था, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं जीत भी जाता तो कुछ नहीं किया जा सकता था। चूंकि मैं कभी राजनेता नहीं था, मैं कुछ समय के लिए नौकरशाही राजनेता बना रहा। राजनीति में मेरा प्रवेश देर से हुआ और इससे बाहर निकलने में मैने देर नहीं की।'

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मेट्रोमैन ने आगे कहा कि, 'मार्च 2021 में जब मैं बीजेपी में शामिल हुए था तो पार्टी के लिए पर्याप्त संभावनाएं थीं, लेकिन अब स्थिति अलग है। बीजेपी को केरल में पैर पसारने के लिए काफी कुछ करना होगा। चुनाव में हार के बाद मैंने पार्टी अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया था।' श्रीधरन ने आगे के प्लान को लेकर कहा कि, 'अब मैं 90 साल का हो गया हूं। मेरा राजनीति में अब कोई सपना नहीं है। मुझे अपनी धरती की सेवा के लिए राजनीति की जरूरत नहीं है। मैं पहले से ही तीन ट्रस्टों के माध्यम से जन सेवा कर रहा हूं।'

बीजेपी ने पार्टी में शामिल होने के 6 दिन बाद ही श्रीधरन को पार्टी ने अपना सीएम कैंडिडेट घोषित कर दिया था। अपने 6 दिन के राजनीतिक अनुभव के बदौलत श्रीधरन भी यह दावा कर रहे थे कि राज्य में बीजेपी की सरकार बनेगी। लेकिन बीजेपी केरल में एक भी सीट नहीं जीत पाई यहां तक कि पहले से एक नेमोम सीट बीजेपी के खाते में था वहां भी पार्टी की करारी हार हुई। सीएम पद के उम्मीदवार श्रीधरन पलक्कड़ सीट से चुनावी मैदान में खड़ा हुए थे। यहां कांग्रेस उम्मीदवार ने के हाथों उन्हें मात खानी पड़ी।

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बता दें कि बीजेपी ने 75 साल से ज्यादा उम्र वाले नेताओं को आम तौर पर सक्रिय राजनीति या मंत्रिमंडल से बाहर करने का अलिखित नियम सा बना रखा है। पार्टी के कई बड़े सूरमा इस नियम की भेंट चढ़ चुके हैं। कुछ यूं ही चलन से बाहर कर दिए गए तो कुछ मार्गदर्शक मंडल में सजाए जा चुके हैं। लेकिन केरल में इस साल ऐसा नहीं हुआ। यहां तो बीजेपी ने श्रीधरन को राजनीति में पहला कदम रखने के तुरंत बाद पार्टी की सियासी नैया के खेवनहार बना दिया था। पार्टी के भीतर भी इस बात के विरोध हुई लेकिन हाईकमान को मेट्रोमैन में शायद कोई चमत्कारी नेता दिख गया था। बहरहाल, अब श्रीधरन ने कहा है कि उनकी सियासत की हसरत खत्म हो गई है।