इंडियन एयरफोर्स का MI 17V5 हेलिकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हेलिकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 14 लोग सवार थे। बताया जा रहा है हादसा इतना दर्दनाक था कि हेलिकॉप्टर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर टकराते हुए आग के गोले की तरह नजर आ रहा था। जिसमें से 3 जवानों ने जलते हुए हेलिकॉप्टर से कूदकर जान बचाने की कोशिश की थी।

 इस भीषण हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत भी गंभीर रुप से घायल हैं। बिपिन रावत भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किए गए हैं। वे रक्षामंत्री और गृह मंत्री के मुख्य सलाहकार के तौर पर कार्यरत रहे हैं। वे थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बीच तालमेल बैठाने में माहिर रहे हैं।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत इस पद से पहले आर्मी चीफ के पद पर थे। उनके आर्मी करियर की शुरुआत 1978 में हुई थी। सबसे पहले उन्हें सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन में कमीशन मिला, वे 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा LAC इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख के पद पर रहे और फिर राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिवीजन की अगुआई करने वालों में भी शामिल थे।

 इंडियन मिलट्री एकेडमी में मिला SWORD OF HONOUR

बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल में 16 मार्च 1958 को हुआ था। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत सेना में थे। बचपन से ही  उनका जीवन फौजियों के बीच बीता। बिपिन रावत की स्कूली शिक्षा सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला से हुई। आगे चलकर उन्होंने इंडियन मिलट्री एकेडमी में दाखिला लिया। यहां उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें पहला सम्मान पत्र दिया गया, जिसे SWORD OF HONOUR कहा जाता है।

अमेरिका से किया ग्रेजुएशन और हाई कमांड का कोर्स

इंडियन मिलट्री एकेडमी के बाद वे आगे की पढाई के लिए अमेरिका चले गये, जहां से उन्होंने सर्विस स्टाफ कॉलेज से ग्रेजुएशन और हाई कमांड का कोर्स भी किया। अमेरिका से पढ़ाई करके लौटने के बाद उन्होंने सेना में जाने का फैसला किया। आखिकार उनकी मेहनत रंग लाई और 16 दिसंबर 1978 में उन्हें गोरखा 11 राइफल्स की 5वीं बटालियन में शामिल किया गया।

गोरखा 11 राइफल्स बटालियन से सैन्य सफर की शुरूआत

गोरखा बटालियन से उनके सैन्य सफर की शुरुआत हुई। जनरल बिपिन रावत मानते थे कि गोरखा रेजिमेंट में रहते हुए उन्होंने जो सीखा वो कहीं और सीखने को नहीं मिला। यहाँ उन्होंने सेना की नीतियां समझीं और नीतियों के निर्माण कार्य में हिस्सा लिया। इस रेजिमेंट में रहते हुए उन्हें सेना के Crops, GOC-C, SOUTHERN COMMAND, IMA DEHRADUN, MILLTERY OPREATIONS DIRECTORET में लॉजिस्टिक स्टाफ ऑफिसर जैसे पदों पर काम किया। उनका रुझान मीडिया और राजनीति में भी रहा। राजनीतक कटाक्ष के लिए वे कई बार लोगों के निशाने पर रहे।

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अंतराष्ट्रीय स्तर पर 7 हजार लोगों की बचाई जान

जनरल बिपिन रावत ने देश के साथ-साथ अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी सेवाएं दी हैं। वे कांगो के UN Mission में शामिल थे और वहां उन्होंने 7 हजार लोगों की जान बचाई थी। 2016 में उन्हें आर्मी चीफ बनाया गया। उन्होंने भारतीय सेना के 27वें प्रमुख के तौर तीन साल तक सेवाएं दीं। उन्होंने 31 दिसंबर 2019 को आर्मी चीफ के पद से इस्तीफा दिया था। जिसके बाद उन्होंने देश के पहले CDS अधिकारी की जिम्मेदारी मिली थी। 

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 7 साल पहले भी हुए थे हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार

इस हादसे से पहले भी जनरल बिपिन रावत हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो चुके हैं। 7 साल पहले 3 फरवरी 2015 को उनका चीता हेलिकॉप्टर नगालैंड के दीमापुर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस दौरान बिपिन रावत लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर  थे।CDS बिपिन रावत परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल से नवाजे गए थे।

सुरक्षित माना जाना है Mi-17 सीरीज का हेलिकॉप्टर

Mi-17 सीरीज के हेलिकॉप्टर्स को अक्सर VIP ट्रांसपोर्ट के लिए उपयोग में लाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार इसी सीरीज के हेलिकॉप्टर पर सफर करते हैं। इस हेलिकॉप्टर का निर्माण सोवियत संघ में हुआ है। जिसे भारत में 2012 से उपयोग किया जा रहा है। इसमें 2 इंजन होते हैं, इसे मीडियम ट्विन टर्बाइन हेलिकॉप्टर भी कहा जाता है। यह ट्रांसपोर्ट और युद्ध दोनों मौकों पर इस्तेमाल किया जा सकता है।