नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने नवंबर 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा पर सीधा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में 'मैच फिक्सिंग' की गई थी, जिसमें पहले से भाजपा की जीत तय करने की पूरी कोशिश की गई। राहुल गांधी ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में एक आर्टिकल लिखा है जिसमें उन्होंने चुनाव की चोरी का पूरा खेल समझाया है।

राहुल ने लिखा, 'मैंने तीन फरवरी को संसद में दिए अपने भाषण और उसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया को लेकर चिंता जाहिर की थी। देश में हुए चुनावों को लेकर मैंने पहले भी संदेह जताया है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हर चुनाव में और हर जगह धांधली होती है, लेकिन जो हुआ है उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मैं छोटी-मोटी गड़बड़ियों की नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्रीय संस्थानों पर कब्जा करके बड़े पैमाने पर की जा रही धांधलियों की बात कर रहा हूं।'

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राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि पहले भी चुनाव में गड़बड़ी होती थीं, लेकिन 2024 के महाराष्ट्र चुनाव बाकी मामलों से बिल्कुल अलग था। इस चुनाव में इतनी भयंकर धांधली हुई है कि सब कुछ छुपाने की तमाम कोशिशों के बावजूद भी गड़बड़ी के स्पष्ट सबूत दिखते हैं। उन्होंने कहा कि, गैर-आधिकारिक जानकारियों को छोड़ भी दें, तब भी केवल आधिकारिक आंकड़ों से ही गड़बड़ियों का पूरा खेल सामने आ जाता है।

उन्होंने आगे लिखा, 'चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 के द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि चुनाव आयुक्त प्रभावी रूप से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा 2:1 के बहुमत से चुने जाएं, जिससे तीसरे सदस्य, विपक्ष के नेता के वोट को अप्रभावी किया जा सके। यानी जिन लोगों को चुनाव लड़ना है, वही अंपायर भी तय कर रहे हैं।' राहुल ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा, 'भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर उनकी जगह चयन समिति में एक कैबिनेट मंत्री को लाने का फैसला गले से नहीं उतरता। सोचिए, महत्वपूर्ण समिति से एक निष्पक्ष निर्णायक को हटाकर कोई अपनी पसंद का सदस्य क्यों लाना चाहेगा? जैसे ही आप खुद से यह सवाल पूछेंगे, आपको जवाब मिल जाएगा।'

पहला चरण-अम्पायर तय करने वाली समिति में हेराफेरी

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने नए मतदाताओं को जोड़ने में धांधली के भी आरोप लगाए। हालांकि, राहुल इस मामले को चुनाव के वक्त से ही उठा रहे हैं। एकबार फिर उन्होंने बताया कि कैसे मतदाताओं की संख्या में हेराफेरी की गई। उन्होंने लिखा, 'चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 8.98 करोड़ थी। पांच साल बाद, मई 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 9.29 करोड़ हुई। लेकिन उसके सिर्फ पांच महीने बाद, नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 9.70 करोड़ हो गई।' यानी पांच साल में 31 लाख की मामूली वृद्धि, वहीं सिर्फ पांच महीनों में 41 लाख की जबरदस्त बढ़ोत्तरी। पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 9.70 करोड़ पहुंचना असाधारण है, क्योंकि यह सरकार के खुद के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के वयस्कों की कुल आबादी, 9.54 करोड़ से भी अधिक है।

दूसरा चरण - फर्जी मतदाताओं के साथ मतदाता सूची में वृद्धि

राहुल गांधी ने मतदान प्रतिशत को लेकर भी फिर से सवाल किए। उन्होंने 2009 से 2024 तक के हर एक चुनाव के मतदान प्रतिशत के अंतर को भी आंकड़ों के जरिए बताया है। राहुल ने कहा, 'ज्यादातर मतदाताओं और ऑब्जर्वर्स के लिए महाराष्ट्र में मतदान का दिन बिल्कुल सामान्य था। बाकी जगहों की तरह ही, लोगों ने कतार में लगकर मतदान किया और वापस अपने घर चले गए। जो लोग शाम 5 बजे तक मतदान केंद्रों के अंदर पहुंच चुके थे, उन्हें मतदान करने की अनुमति थी। ऐसी खबर कहीं से नहीं आई कि 5 बजे के बाद भी किसी मतदान केंद्र पर ज्यादा भीड़ या लंबी कतारें लगी हों। लेकिन चुनाव आयोग के अनुसार, मतदान का दिन कहीं अधिक नाटकीय था। शाम 5 बजे तक मतदान प्रतिशत 58.22 था। लेकिन मतदान खत्म होने के बाद मतदान प्रतिशत में नाटकीय अंदाज में बढ़ोतरी हो गई। अगली सुबह जो आखिरी आंकड़ा सामने आया, वह 66.05% था। यानी 7.83% की अचानक बढ़ोत्तरी हुई, जो कि करीब 76 लाख वोटों के बराबर है। वोट प्रतिशत में इस तरह की बढ़ोत्तरी महाराष्ट्र के पहले के किसी भी विधानसभा चुनाव से कहीं ज्यादा थी।'

तीसरा चरण - मतदान प्रतिशत भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाना

राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धांधली हर स्तर पर और सुनियोजित तरीके से की गई। उन्होंने कहा, 'इनके अलावा भी कई और गड़बड़ियां हैं। महाराष्ट्र में करीब 1 लाख बूथ हैं, लेकिन नए मतदाता ज्यादातर सिर्फ 12,000 बूथों पर ही जोड़े गए। ये बूथ उन 85 विधानसभा के थे, जहां बीजेपी का पिछले लोकसभा चुनाव में बुरा प्रदर्शन था। मतलब हर बूथ में शाम 5 बजे के बाद औसतन 600 लोगों ने वोट डाला। अगर मान लें कि हर व्यक्ति को वोट डालने में एक मिनट भी लगता है, तब भी मतदान की प्रक्रिया 10 घंटे तक और जारी रहनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा कहीं नहीं हुआ। ऐसे में सवाल यह है कि ये अतिरिक्त वोट आखिर डाले कैसे गए? जाहिर है कि, इन 85 सीटों में से ज्यादातर पर एनडीए ने जीत दर्ज की। चुनाव आयोग ने मतदाताओं की इस बढ़ोत्तरी को ‘युवाओं की भागीदारी का स्वागत योग्य ट्रेंड’ बताया।'

चौथा चरण - चुनिंदा जगहों पर फर्जी वोटिंग

राहुल गांधी ने कहा कि यह एक बेहद गंभीर मामला मामला है। कामठी विधानसभा इस धांधली की एक अच्छी केस स्टडी है। वर्ष 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को वहां 1.36 लाख वोट मिले, जबकि बीजेपी को 1.19 लाख। 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को फिर लगभग उतने ही, 1.34 लाख वोट मिले। लेकिन बीजेपी के वोट अचानक बढ़कर 1.75 लाख हो गए। यानी 56,000 वोटों की सीधी बढ़ोतरी।

पांचवां चरण - सबूतों को छुपाने की कोशिश

राहुल ने आगे कहा, 'चुनाव आयोग ने विपक्ष के हर सवाल का जवाब या तो चुप्पी से दिया या फिर आक्रामक रवैया अपनाकर। उसने 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की फोटो सहित मतदाता सूची सार्वजनिक करने की मांग को सीधे खारिज कर दिया है। इससे भी गंभीर बात यह है कि विधानसभा चुनाव के ठीक एक महीने बाद, जब एक उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को मतदान केंद्रों की वीडियोग्राफी और सीसीटीवी फुटेज साझा करने का निर्देश दिया, तो केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से सलाह लेने के बाद निर्वाचनों के संचालन नियम, 1961 की धारा 93(2)(a) में बदलाव कर दिया। इस बदलाव के जरिये सीसीटीवी और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स तक पहुंच को सीमित कर दिया गया है। यह बदलाव और इसका समय दोनों ही अपने आप में बहुत कुछ बयां करते हैं। हाल ही में एक जैसे या डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर सामने आने के बाद फर्जी मतदाताओं को लेकर चिंताएं और गहरी हो गई हैं। हालांकि असली तस्वीर तो शायद इससे भी ज्यादा गंभीर है।'