जयपुर।राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने के अशोक गहलोत सरकार के प्रस्ताव को तीसरी बार लौटा दिया है। बताया जा रहा है कि राज्यपाल ने 21 दिन के नोटिस पर सत्र बुलाने की शर्त एक बार फिर से दोहराई है, जबकि गहलोत सरकार ने 31 जुलाई को विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा था। उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल से चौथी बार मिले। उन्होंने कहा कि नोटिस चाहे 21 दिन का हो या 31 दिन का, जीत उनकी ही होगी।

इससे पहले राज्यपाल ने 27 जुलाई को अशोक गहलोत सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने का आदेश दिया था। हालांकि, इसके लिए उन्होंने तीन शर्तें रखी थीं। इसमें से सबसे जरूरी शर्त 21 दिन के नोटिस पर विधानसभा सत्र बुलाने की थी। दूसरी और तीसरी शर्त विधानसभा में बहुमत परीक्षण और कोविड 19 प्रोटोकॉल को लेकर थी। राज्यपाल ने यह भी कहा था कि उनकी विधानसभा सत्र ना बुलाने की कोई मंशा नहीं है।

राज्यपाल की इन शर्तों पर विचार करने के लिए अशोक गहलोत ने 28 जुलाई को कैबिनेट बैठक बुलाई और विस्तृत चर्चा के बाद विधानसभा सत्र बुलाने के लिए तीसरी बार प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा। इससे पहले भेजे गए दो प्रस्ताव राज्यपाल ने वापस लौटा दिए थे।

फिलहाल, राजस्थान का राजनीतिक दृश्य और पेचीदा हो गया है। राज्य में मुख्यमंत्री और राज्यपाल आमने सामने हैं। कांग्रेस बार-बार आरोप लगा रही है कि राज्यपाल बीजेपी के इशारों पर काम कर रहे हैं। वहीं राज्यपाल बार-बार नियम कानूनों का हवाला दे रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि राज्यपाल की 21 दिन के नोटिस की शर्त इसलिए है ताकि बीजेपी को गहलोत कैंप के विधायकों का शिकार करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाए।