जयपुर। राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर संकट खत्म होता हुआ नजर आ रहा है। सचिन पायलट कैंप के तीन निर्दलीय विधायकों ने सीएम से लगभग दो घंटे की मुलाकात भी की। लेकिन बागियों की घरवापसी ने अब नए समीकरणों को जन्म दिया है। इस घटनाक्रम को उस संदर्भ में देखना चाहिए जिसमें पूरे संकट के दौरान गहलोत के साथ चट्टान की तरह खड़े विधायकों ने बागियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही थी।

पायलट कैंप के जिन तीन निर्दलीय विधायकों सुरेश टांक, खुशवीर सिंह जोजावर और ओम प्रकाश हुडला ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाक़ात की है उन पर खरीद-फरोख्त के आरोप में मुकदमे दर्ज हुए थे। इन तीनों विधायकों ने मुख्यमंत्री से हुई मुलाकात को सकारात्मक बताते हुए कहा कि उनके ऊपर लगे सभी आरोप निराधार हैं।

बागियों को मिलेंगे पद, वफादारों को क्या?

बताया जा रहा है कि पायलट कैंप के विधायकों को राजस्थान कैबिनेट में जगह भी दी जाएगी। कुछ विधायकों को अन्य नियुक्तियां भी दी जाएंगी। ये नियुक्तियां सचिन पायलट की घरवापसी के लिए की गई मांग का हिस्सा होंगी। ऐसे में गहलोत कैंप के विधायकों के भीतर असंतोष पैदा हो सकता है। खासकर उस परिस्थिति में जब रणदीप सुरजेवाला से लेकर अशोक गहलोत शुरुआत से ही इन विधायकों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए थे। बात अयोग्यता के नोटिस से शुरू होकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई थी। ऐसे में इन विधायकों की वापसी से खींचतान और बढ़ सकती है। हालांकि, अशोक गहलोत इस बात से वाकिफ हैं और शायद इसलिए ही अपने कैंप के विधायकों से मिलने तुरंत जैसलमेर चले गए हैं।

सीएम अशोक गहलोत जैसलमेर में विधायकों से बात करेंगे 

अशोक गहलोत के साथ संसदीय कार्यमंत्री शांति धरीवाल, महेंद्र चौधरी और संयम लोढ़ा भी विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए जैसलमेर पहुंच रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने तीन दिन पहले ही यह काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने तीन दिन पहले ही गहलोत कैंप के विधायकों को बता दिया था कि पायलट की मुलाकात राहुल गांधी से होगी। उन्होंने सीधे तौर पर विधायकों से कहा था कि हम सभी कांग्रेसी हैं और हर हाल में आलाकमान का फैसला मानेंगे। उन्होंने कहा था कि फैसला चाहे जो भी हो, कोई भी इसका विरोध नहीं करेगा।

फिलहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी का हाईकमान अब किस तरह बागियों और वफादारों के बीच सामंजस्य बिठाएगा। जाहिर है कि इसके लिए खासी मशक्कत करनी होगी। यह काम तब और कठिन हो जाएगा, जब बीजेपी ने अप्रत्यक्ष तौर पर यह जाहिर कर दिया है कि वह गहलोत सरकार को अस्थिर करने का प्रयास करती रहेगी।