सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के दोषी पाए गए वरिष्ठ अधिवक्ता और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण पर कोर्ट ने एक रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना भूषण को 15 सितंबर तक जमा करना होगा। ऐसा ना कर पाने की स्थिति में उन्हें तीन महीने कैद की सजा होगी और वे तीन महीने तक कोर्ट में प्रैक्टिस भी नहीं कर पाएंगे। 

प्रशांत भूषण को 14 अगस्त को कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया गया था। कोर्ट ने 20 अगस्त को उनकी सजा पर सुनवाई की थी और उन्हें माफी मांगने पर फिर से विचार करने को कहा था। इससे पहले प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट के लिए कही गई बातें उनके विश्वास को दर्शाती हैं और सकारात्मक आलोचना की दृष्टि से न्याय व्यवस्था के अच्छे ढंग से काम करने के लिए की गई हैं। 

Click: Prashant Bhushan: माफी मांगने से दूसरी बार किया इनकार

जब कोर्ट ने प्रशांत भूषण से माफी मांगने के लिए कहा तो उन्होंने राष्ट्रपति महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए बयान दिया कि उन्हें हर सजा मंजूर है और वे कोर्ट से किसी माफी या दया की उम्मीद नहीं रखते। प्रशांत भूषण ने एक और ऐसा ही बयान जारी करते हुए दोबारा भी माफी मांगने से मना कर दिया। जिसके बारे में कोर्ट ने 25 अगस्त को हुई अंतिम सुनवाई में कहा कि उनके द्वारा दूसरी बार दायर किया गया हलफनामा और भी ज्यादा अपमानजनक है। जस्टिस मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि वे इस पूरे घटनाक्रम से बहुत आहत हुए हैं। 

इस सबके बीच भूषण ने अवमानना की सजा को स्थगित करने की भी मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। वहीं केंद्र सरकार की पैरवी करने वाले अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल भी प्रशांत भूषण को सजा ना दिए जाने की वकालत करते रहे। वहीं सुनवाई के अंतिम दिन जब कोर्ट ने प्रशांत भूषण की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से पूछा कि उन्हें क्या सजा देनी चाहिए तो धवन ने कहा कि कुछ समय के लिए भूषण के कोर्ट में प्रैक्टिस करने पर रोक लगाई जा सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सजा मिलने से प्रशांत भूषण को शहीद का दर्जा मिल जाएगा, जो वे खुद नहीं चाहते हैं। 

Click: Supreme Court: प्रशांत भूषण ने किया सजा स्थगित करने का अनुरोध

यह पूरा मामला प्रशांत भूषण के दो ट्वीट से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके ट्वीट को स्वत: संज्ञान में लेते हुए अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी और सुनवाई के बाद भूषण को अवमानना का दोषी पाया था। इस पूरे समय में प्रशांत भूषण यह कहते रहे कि उन्होंने पिछले 30 साल से सुप्रीम कोर्ट के सिपाही के तौर पर काम करके कोर्ट की गरिमा और प्रतिष्ठा को ऊपर उठाया है। वे सुप्रीम कोर्ट की बहुत इज्जत करते हैं और किए गए ट्वीट उनके मूलभूत विश्वास को दर्शाते हैं, जिनके लिए माफी मांगना उनके अपने विवेक और कोर्ट की गरिमा की अवमानना होगी।