तेलंगाना। तेलंगाना में नक्सलियों ने एक बार फिर युद्धविराम की घोषणा की है। स्टेट कमेटी मेंबर और नक्सली लीडर्स ने तेलुगु भाषा में एक प्रेस नोट जारी कर बताया कि अगले छह महीनों तक राज्य में किसी भी तरह की सशस्त्र कार्रवाई नहीं की जाएगी। नक्सल संगठन ने कहा है कि यह निर्णय राज्य में शांति बनाए रखने और जनता की आकांक्षाओं का सम्मान करने के लिए लिया गया है।
तेलंगाना स्टेट कमेटी के प्रवक्ता जगन ने प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि बीते छह महीनों में राज्य में अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण माहौल रहा है। इसका श्रेय राज्य सरकार और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रयासों को जाता है। उन्होंने बताया कि अप्रैल, मई और जून 2025 के दौरान राजनीतिक दलों, सामाजिक समूहों और जन संगठनों ने राज्य में शांति बनाए रखने के लिए व्यापक आंदोलन चलाया था। इन प्रयासों के जवाब में राज्य सरकार ने भी सकारात्मक रवैया अपनाया था।
जगन ने कहा कि पिछले मई महीने में संगठन ने छह महीने के युद्धविराम की घोषणा की थी। जिसके दौरान योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाए गए और शांति बनाए रखने पर जोर दिया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता की आकांक्षाओं और राज्य में बने शांतिपूर्ण माहौल को देखते हुए अब आगामी छह महीनों के लिए भी युद्धविराम को बढ़ाया जा रहा है।
प्रवक्ता ने यह भी कहा कि नक्सली संगठन आगे भी राज्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने के प्रयास जारी रखेगा। उन्होंने तेलंगाना सरकार से अपील की है कि वह पहले की तरह ही जनता के हित में कार्य करती रहे। हालांकि, उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह तेलंगाना के शांतिपूर्ण माहौल को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।
इस घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ में नक्सल दबाव और बढ़ गया है। राज्य में सुरक्षाबलों के लगातार एनकाउंटर और बड़े ऑपरेशनों के चलते नक्सल संगठनों पर दबाव बना हुआ है। सिर्फ पिछले एक महीने में 283 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें CCM, DKSZCM, DVCM और ACM स्तर के कई वरिष्ठ कैडर शामिल हैं। फिलहाल, छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षा बल नक्सल प्रभावित इलाकों में सर्च ऑपरेशन और एंटी-नक्सल अभियानों को तेज कर चुके हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब तेलंगाना नक्सली संगठन ने युद्धविराम की घोषणा की है। छह महीने पहले भी जगन ने इसी तरह का प्रेस नोट जारी किया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य के बुद्धिजीवियों और प्रसिद्ध हस्तियों ने वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और लोकतांत्रिक माहौल स्थापित करने के लिए अभियान चलाया है। तब भी संगठन ने छह महीने तक शांति बनाए रखने का वादा किया था जिसे अब और आगे बढ़ा दिया गया है।
नक्सली संगठन ने अपने नए प्रेस नोट में यह भी दोहराया है कि वार्ता की प्रक्रिया को केवल संगठन की रणनीतिक चाल न समझा जाए बल्कि इसे लोकतंत्र और संवाद की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जाए। आने वाले छह महीने इस बात का संकेत होंगे कि राज्य और संगठन के बीच यह अस्थायी शांति कितनी स्थायी साबित होती है।