पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री व बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा है कि केंद्र सरकार को राज्यों को जीएसटी मुआवजे का भुगतान करना चाहिए। उन्होंने कहा केंद्र सरकार भले ही जीएसटी मुआवजा देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है पर यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी है। बीजेपी नेता ने मंगलवार (25 अगस्त) को अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के एक ऑनलाइन आडिया एक्सचेंज के दौरान ये बातें कही है। सुशील मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब गुरुवार को जीएसटी परिषद की बैठक होनी है।

उपमुख्यमंत्री ने बिहार के हालातों पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश का वित्त विभाग तनाव में है। हम केवल वेतन, मजदूरी और पेंशन का भुगतान करने में सक्षम हैं। हम केंद्र सरकार पर निर्भर हैं क्योंकि बिहार का 76 फीसदी राजस्व केंद्र से ही आता है। ऐसे में राज्यों को जीएसटी मुआवजा मिलना चाहिए। हम आगामी बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाएंगे। राज्य सरकारें कर्ज नहीं ले सकती, केंद्र को कर्ज लेना चाहिए। राज्यों की मदद करना केंद्र की नैतिक जिम्मेदारी है। अगर मुश्किल के इस घड़ी में राज्यों को केंद्र सरकार से समर्थन नहीं मिलता को राज्य सरकारें संकट में आ जाएंगे।

बता दें कि बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी इंटीग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी) सेटलमेंट, जीएसटी कार्यान्यवन में आईटी चुनौतियों और जीएसटी से राजस्व के विश्लेषण पर मंत्रिस्तरीय पैनल के प्रमुख हैं। उन्हें आईजीएसटी और आईटी के पैनल की जिम्मेदारी हाल ही में सौंपी गई है। गुरुवार को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के तहत राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों का सिंगल पॉइंट एजेंडा जीएसटी मुआवजा है। राज्यों को मुआवजे का भुगतान इस वित्तीय वर्ष के चार महीनों - अप्रैल, मई, जून और जुलाई के लिए लंबित हैं।

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इसके पहले भी जीएसटी परिषद के हुए बैठकों में क्षतिपूर्ति को पाटने के लिए बाजार से कर्ज लेने के विकल्पों पर चर्चा की गई थी जिसमें अटॉर्नी जनरल से कानूनी राय लेने का निर्णय लिया गया था। हालांकि एजी ने भी यह कहते हुए गेंद केंद्र के पाले में डाल दिया कि केंद्र सरकार को राजस्व में कमी के लिए भुगतान करने की बाध्यता नहीं है। कॉउन्सिल राज्यों को ऋण लेने की अनुमति के लिए केंद्र से सिफारिश कर सकती है। एजी ने इसका अंतिम निर्णय लेने के फैसले को केंद्र के ऊपर छोड़ दिया है।