नई दिल्ली। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत को ब्लू टिक का बैज वापस लौटा दिया है। साथ ही आरएसएस के सह सर कार्यवाहक सुरेश सोनी, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार, सुरेश जोशी और कृष्णगोपाल को भी ब्लू टिक वापस प्रदान कर दिया है। कंपनी ने यह कार्रवाई केंद्र सरकार की अंतिम चेतावनी के बाद की है।

दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने ट्विटर को आखिरी चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर जल्द ही ट्विटर ने नए आईटी नियमों के पालन में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो भारत में सोशल मीडिया कंपनी को मिल रही तमाम सुविधाएं बंद हो जाएंगी। केंद्र सरकार ने आज ट्विटर को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि वो कंपनी द्वारा 28 मई और 2 जून को दिए गए जवाबों से संतुष्ट नहीं है। इसलिए सरकार नए आईटी नियमों को लागू करने के लिए ट्विटर को आखिरी मौका दे रही है। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी जिसके लिए खुद सोशल मीडिया कंपनी ही ज़िम्मेदार होगी। 

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इससे पहले शनिवार को उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू के ट्विटर अकाउंट से कंपनी ने ब्लू टिक हटाकर थोड़ी देर में वापस बहाल कर दिया था। लेकिन आज कंपनी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत, भैयाजी जोशी और सुरेश सोनी के भी ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिए। आरएसएस नेताओं के ब्लू टिक हटाए जाने के बाद बीजेपी और संघ के खेमे में खलबली मच गई थी। बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ताओं ने ट्विटर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

माना जा रहा है कि संघ प्रमुख का ब्लू टिक बैज हटाए जाने पर भागवत खेमे ने बौखलाहट में केंद्र सरकार पर ट्विटर के खिलाफ एक्शन लेने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था, फलस्वरूप केंद्र ने कंपनी को दूसरे कारणों के बहाने नोटिस भेजा। ट्विटर ने इन अकाउंट से ब्लू टिक हटाए जाने के पीछे कारण दिया कि इन नेताओं का ट्विटर अकाउंट 6 महीने से ज्यादा समय से सक्रिय नहीं था जिस वजह से उनके अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया गया। हालांकि, बवाल बढ़ता देख ट्विटर ने ब्लू टिक वापस करने का निर्णय लिया।

क्या है पॉलिसी

दरअसल, ट्विटर के ग्लोबल नियमों के मुताबिक, किसी भी अकाउंट को सक्रिय रखने के लिए हर छह महीने में लॉग इन करना जरूरी होता है। साथ ही ट्वीट्स और रिट्वीट्स करना जरूरी है। ऐसा न होने पर ट्विटर इन अकाउंट्स को चिन्हित कर उसे अनवेरिफाइड या फिर सस्पेंड भी कर सकती है। लेकिन इस पॉलिसी के तहत जब संघ के लोगों के ब्लू टिक हटाए गए तो इसे भारत के संप्रभुता से जोड़ा जाने लगा। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने भी बदले की भावना अख्तियार कर लिया। ऐसे में कंपनी को दबाव में आकर उन नेताओं को ब्लू टिक बैज वापस लौटाना पड़ा।