लखनऊ। क्या उत्तरप्रदेश में सत्ता का रंग बदलने वाला है? क्या सीएम योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर वापस लौटने का समय आ गया है? क्या योगी और मोदी के बीच सबकुछ ठीक है? हाल के दिनों में उत्तरप्रदेश के सियासी गलियारों में ये प्रश्न आम हो गए हैं। लेकिन सीएम योगी के जन्मदिन के मौके पर जो कुछ भी हुआ उसके बाद सीएम योगी और पीएम मोदी के बीच का विवाद खुलकर सामने आ गया है।

दरअसल, शनिवार 5 जून को सीएम योगी अपना जन्मदिन मना रहे थे। सीएम योगी को देशभर के नेताओं ने ट्वीट कर बधाइयां दी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें बधाई देना उचित नहीं समझा। आमतौर पर देश-विदेश के सभी राजनेताओं को पीएम मोदी बर्थड़े विश करते हैं। इतना ही नहीं बीजेपी के अन्य दिग्गजों या यूं कहें कि मोदी खेमे के अन्य नेताओं ने भी योगी को बर्थड़े विश नहीं किया है।

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देश के गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी सीएम योगी को सार्वजनिक रूप से बधाई नहीं दी है। कुछ लोगों का कहना है कि पार्टी के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक उत्तरप्रदेश में 150 के करीब बीजेपी विधायक सीएम योगी के रवैए से नाराज चल रहे हैं। इतना ही नहीं हाईकमान भी योगी से परेशान है। हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष की राज्य के नेताओं के साथ हुई बैठक ने इन अटकलों को और हवा दे दी।

दरअसल, माना जाता है कि प्रदेश में सीएम योगी एकक्षत्र राज चला रहे हैं। वह पार्टी हाईकमान को भी प्रदेश में दखलअंदाजी करने नहीं देते। उदाहरण के तौर पर मोदी के सबसे करीबी नौकरशाह एके शर्मा को लिया जा सकता है। पीएमओ छोड़कर यूपी में एमएलसी बने शर्मा के बारे में चर्चाएं थी कि उन्हें राज्य का गृहमंत्री बनाया जाएगा। लेकिन पीएम मोदी अपने सबसे करीबी अधिकारी शर्मा को योगी कैबिनेट में जगह दिलाने में असमर्थ रहे।

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ऐसे में इस बात के भी दावे किए जा रहे हैं कि इस बार चुनाव के पहले योगी को सीएम पद से हटा दिया जाएगा। यदि ऐसा होता है तो गोरखपुर ही योगी के लिए एकमात्र विकल्प है। लेकिन यह कदम बीजेपी के लिए भी आत्मघाती साबित हो सकता है। उधर बीजेपी सूत्रों का दावा है कि योगी और मोदी में कोई विवाद नहीं है। इतना ही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि मोदी-शाह और नड्डा ने योगी को कॉल कर बधाइयां दी थी। कोरोना की वजह से उन्होंने ट्वीट नहीं किया। बहरहाल योगी कबतक सीएम बने रहेंगे ये तो वक़्त ही बताएगा।