नई दिल्ली। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की किताबों में अब देश का नाम इंडिया की जगह भारत लिखा मिलेगा। नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए पाठ्यक्रम बदलाव के सुझाव देनेवाली कमेटी ने इस बदलाव की सिफारिश की है। कमेटी का तर्क है कि इंडिया शब्द का आमतौर पर इस्तेमाल ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद होना शुरू हुआ था। इसके साथ ही प्राचीन इतिहास की बजाय स्कूली बच्चों को शास्त्रीय इतिहास पढ़ाने की सिफारिश की गई है।

दरअसल, NCERT अपने पाठ्यक्रम में नई शिक्षा नीति के तहत बदलाव कर रहा है। इसके लिए 19 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने ही देश का नाम इंडिया के बजाय भारत लिखने का सुझाव दिया है। साथ ही सिलेबस से प्राचीन इतिहास को हटाकर क्लासिकल हिस्ट्री को शामिल करने की सिफारिश भी की है।

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समिति के अध्यक्ष ने कहा, 'इंडिया शब्द का आमतौर पर इस्तेमाल ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद होना शुरू हुआ था। जबकि भारत का जिक्र विष्णु पुराण जैसे प्राचीन लेखों में मिलता है, जो 7 साल पुराने हैं। ऐसे में समिति ने आम सहमति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं की किताबों में भारत के नाम का इस्तेमाल होना चाहिए।' बहरहाल, अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या नाम बदलने से पाठ्यक्रम की गुणवत्ता के आवश्यक सुधार हो पाएगा।

बता दें कि देश में इंडिया बनाम भारत का विवाद तब शुरू हुआ जब केंद्र की मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए एकजुट हुए विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम INDIA रखा है। इसके बाद पीएम मोदी ने खुद एक रैली के दौरान इंडिया नाम की तुलना आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से की थी। 
इतना ही नहीं हाल ही में जी 20 देशों के लिए राष्ट्रपति भवन की तरफ से आयोजित किए गए डिनर के इनविटेशन कार्ड पर President Of India की जगह President Of Bharat लिखा गया था। विपक्षी दलों का कहना है कि हमारी एकजुटता से परेशान होकर मोदी सरकार बौखलाहट में इस तरह की राजनीति कर रही है।

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NCERT की कमेटी ने प्राचीन इतिहास के बजाय शास्त्रीय इतिहास को शामिल करने और भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने का भी सुझाव दिया है। कमेटी के अध्यक्ष का कहना है कि अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में बांटा है। एंशिएंट का मतलब प्राचीन होता है, जो दिखाता है कि देश अंधेरे में था। जैसे कि उसमें कोई वैज्ञानिक जागरूकता थी ही नहीं। इसीलिए हमने सुझाव दिया है कि मध्यकाल और आधुनिक के साथ-साथ क्लासिक हिस्ट्री को पढ़ाया जाना चाहिए।