नई दिल्ली। भारत ही नहीं दुनियाभर की सबसे चर्चित लीग इंडियन प्रीमियर लीग का पहला सीज़न 2008 में खेला गया था। पहली बार आयोजित होने वाली इस लीग में गेम और ग्लैमर का अद्भुत संगम था। जब दर्शकों के टीवी स्क्रीन्स पर आईपीएल का ऐड आया था, तब इसे 'मनोरंजन (मनो और रंजन) के बाप' के तौर पर ही प्रोजेक्ट किया था। 24 जनवरी 2008 को आईपीएल की कुल 8 टीमों के लिए बोली लगी। जिसमें मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बंगलौर, हैदराबाद, पंजाब और राजस्थान की टीमें शामिल थीं। 

 

कोलकाता, राजस्थान और पंजाब का हिस्सा क्रमशः शाहरुख खान, शिल्पा शेट्टी और प्रीति ज़िंटा जैसे मशहूर सितारे थे। जिन टीमों के पास फ़िल्मी दुनिया से इतर सितारे नहीं थे। उन टीमों ने भी फ़िल्मी दुनिया और खेल जगत की मशहूर हस्तियों को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया था। बैंगलोर की ब्रांड एंबेसडर दीपिका पादुकोण और कटरीना कैफ थीं। मुंबई ने अनिल कपूर, रितिक रोशन, सैफ अली खान और करीना कपूर को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया था। दिल्ली के टीम के ब्रांड एंबेसडर अक्षय कुमार थे। डेक्कन चार्जर्स की ब्रांड एंबेसडर बैडमिंटन प्लेयर साइना नेहवाल थी। हालांकि चेन्नई ने किसी भी बॉलीवुड सितारे को अपना ब्रांड एंबेसडर नहीं बनाया था। चेन्नई की टीम के तीनों ही ब्रांड एंबेसडर (दक्षिण के स्टार विजय, नयनतारा और पूर्व क्रिकेटर श्रीकांत) बॉलीवुड से नहीं बनाए थे। 

टूर्नामेंट के लिए हर टीम ने अपना एक थीम सोंग भी तैयार किया था। मुंबई इंडियंस का दुनिया हिला देंगे, कोलकाता का कोरबो लोरबो जीतबो और राजस्थान का हल्ला बोल जैसे थीम सोंग आईपीएल में काफी प्रचलित हुए थे। 

धोनी के लिए सीएसके ने लगाई थी सबसे महंगी बोली


 
आईपीएल में खिलाड़ियों को खरीदने के लिए ऑक्शन 20 फरवरी 2008 को आयोजित किया गया। उस समय भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के साथ सीबी सीरीज की त्रिकोणीय श्रृंखला खेल रही थी। ऑक्शन से पहले चेन्नई, राजस्थान और डेक्कन चार्जर्स को छोड़कर सभी टीमों ने अपने आइकन खिलाड़ी चुन लिए थे। कोलकाता ने सौरव गांगुली, मुंबई ने सचिन तेंदुलकर, बैंगलोर ने राहुल द्रविड़, पंजाब ने युवराज सिंह और दिल्ली ने वीरेंद्र सहवाग को अपना आइकन खिलाड़ी बना दिया था। ये वो खिलाड़ी थे जो कि नीलामी के लिए उपलब्ध नहीं थे। हालांकि डेक्कन चार्जर्स ने भी वीवीएस लक्ष्मण को अपना आइकन खिलाड़ी बनाया था लेकिन लक्ष्मण ने आइकन खिलाड़ी बनने में दिलचस्पी न दिखा कर, फ्रेंचाइजी को ज़्यादा से ज़्यादा खिलाड़ी खरीदने की नसीहत दी थी। लक्ष्मण ने पहले सीज़न डेक्कन चार्जर्स की कप्तानी की थी। 

20 फरवरी को जब आईपीएल की नीलामी हुई तब एमएस धोनी सबसे महंगे खिलाड़ी साबित हुए। चेन्नई सुपरकिंग्स ने धोनी को 15 लाख डॉलर में अपने पाले में कर लिया था। धोनी को खरीदने के लिए मुंबई और चेन्नई में काफी भागदौड़ हुई थी। 

सहवाग को अपनी टीम में शामिल करना चाहते थे श्रीनिवासन 

धोनी को भले ही चेन्नई ने सबसे बड़ी राशि खर्च कर अपनी टीम में शामिल किया था। लेकिन टीम के मालिक एन श्रीनिवासन धोनी की जगह वीरेंद्र सहवाग को अपनी टीम में शामिल करना चाहते थे। उस समय तक दिल्ली ने सहवाग को अपना आइकन खिलाड़ी नहीं बनाया था। लेकिन जल्द ही दिल्ली डेयरडेविल्स ने सहवाग को अपना आइकन खिलाड़ी बना लिया। जिस वजह से सहवाग को चेन्नई की टीम में शामिल करने को श्रीनिवासन को अपना मन बदलना पड़ गया। 

यह भी पढ़ें : धोनी की जगह वीरेंद्र सहवाग बनने वाले थे सीएसके के कप्तान

बीच मैदान हरभजन ने जड़ा था श्रीसंत को थप्पड़

25 अप्रैल 2008 को मोहाली में मुंबई इंडियंस और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच मुकाबला खेला जा रहा था। दोनों ही टीमें अपना तीसरा मुकाबला खेल रही थीं और दोनों ही अपने पहले दोनों मैच हार चुकी थीं। मुंबई इंडियंस को बैंगलोर और चेन्नई सुपरकिंग्स के हाथों शिकस्त मिली थी, जबकि पंजाब की टीम अपने मुकाबले चेन्नई और राजस्थान से हार गई थी। इस लिहाज से दोनों ही टीमों के लिए यह मुकाबला बेहद अहम था। पंजाब ने इस मुकाबले में मुंबई इंडियंस को 66 रनों से हरा दिया। लेकिन इस मैच से ज़्यादा चर्चा का विषय श्रीसंत और हरभजन के बीच हुआ विवाद बना जिसे स्लैपगेट के नाम से जाना जाता है। मैच की समाप्ति के बाद टीवी के कैमरों पर श्रीसंत का रोता हुआ चेहरा ही दिखाई दे रहा था। मुंबई इंडियंस की कप्तानी कर रहे हरभजन ने पंजाब के लिए खेल रहे श्रीसंत को बीच मैदान थप्पड़ जड़ दिया था। कभी टीम की ऑनर प्रीति ज़िंटा तो कभी कप्तान युवराज सिंह श्रीसंत से बात करते हुए दिखाई देते। विपक्षी टीम के ड्वेन ब्रावो भी श्रीसंत को संभालते नज़र आ रहे थे। 

श्रीसंत और हरभजन के थप्पड़ काण्ड ने इतना तूल पकड़ा कि हरभजन को पूरे सीज़न से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हरभजन को उस सीज़न की मैच फीस तक नहीं मिली थी जो कि करीबन 3.75 करोड़ थी। इस पूरे विवाद को लेकर हरभजन और श्रीसंत ने अलग अलग मौकों पर अपनी बात रखी। 

श्रीसंत बताते हैं कि वो नहीं चाहते थे कि हरभजन पर किसी तरह का कोई जुर्माना लगाया जाए या उन्हें आईपीएल खेलने से रोका जाए। श्रीसंत के मुताबिक थप्पड़ काण्ड के ठीक बाद सचिन ने आ कर बीच बचाव भी किया था। सचिन ने श्रीसंत को समझाया था कि 'तुम दोनों एक ही टीम के लिए खेलते हो, और आगे भी तुम दोनों को काफी एक साथ खेलना है। श्रीसंत बताते हैं कि इस काण्ड के ठीक कुछ घंटों के बाद हरभजन के साथ वे नॉर्मल हो गए थे। दोनों ने उस रात बाकायदा एक साथ डिनर भी किया था। लेकिन मीडिया ने इस मामले को इतना तूल दे दिया था कि लोगों को यह मामला ज़रूरत से ज़्यादा बड़ा और गंभीर लग रहा था। श्रीसंत ने एक बार इस घटना के बारे में बताया था कि उन्होंने आईपीएल के कमिश्नर सुधींद्र नानावती से कहा भी था कि वे हरभजन पर किसी तरह का प्रतिबंध न लगाएं। 

वहीं हरभजन ने एक बार इस मसले पर बात करते हुए अपनी गलती स्वीकारी थी। हरभजन ने कहा था कि यह क्रिकेट के मैदान पर उनके द्वारा की गई बड़ी गलतियों में से एक थी। हालांकि हरभजन का यह भी कहना था कि श्रीसंत ने उस घटना पर ज़रूरत से ज़्यादा रिएक्ट किया था। तीन महीने के भीतर यह दूसरी मर्तबा था जब भज्जी विवादों में फंसे थे। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में सिडनी टेस्ट के दौरान उनका सायमंड्स के साथ मंकी गेट विवाद हो चुका था। तब हरभजन को पर्थ टेस्ट से बाहर होना पड़ा था। हरभजन पहले सीज़न में आईपीएल से बाहर हो गए लेकिन जल्द ही आईपीएल श्रीसंत का पूरा क्रिकेटिंग करियर छीनने वाला था।

एक ही सीज़न में तीन तीन कप्तानों के साथ खेली थी मुंबई इंडियंस 

हरभजन के बाहर होने के बाद मुंबई इंडियंस की कप्तानी दक्षिण अफ्रीकी तेज़ गेंदबाज शॉन पोलॉक ने संभाली थी। सचिन तेंदुलकर के चोट से उबरने तक पोलॉक ने ही टीम की कमान संभाली। सचिन के टीम में शामिल होते ही मुंबई इंडियंस की किस्मत एकाएक पलट गई। लेकिन मुंबई लीग के अंतिम चार में जगह पाने में कामयाब नहीं हो पाई। आईपीएल के पहले सीज़न में 14 मैचों में मुंबई इंडियंस की कप्तानी तीन तीन खिलाड़ियों ने की थी। 
 
पहली ही मैच में मैकुलम के बल्ले ने दिखाया था दम 

आईपीएल का पहला मुकाबला 18 अप्रैल को बैंगलोर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में केकेआर और आरसीबी के बीच मुकाबला खेला गया था। पहले ही मैच में न्यूजीलैंड के बल्लेबाज़ ब्रेंडन मैकुलम ने 73 गेंदों में ताबड़तोड़ 158 रनों की नाबाद पारी खेल दी थी। मैकुलम ने महज 53 गेंदों में शतक जड़ दिया था। मैकुलम की बल्लेबाज़ी के कारण केकेआर ने 222 रन ठोक दिए थे। बैंगलोर को कोलकाता ने 140 रनों से हरा दिया था। सीज़न में केकेआर की इस धमाकेदार शुरुआत से क्रिकेट प्रेमियों को केकेआर का अंतिम चार में जगह पाना एकदम आसान लग रहा था। लेकिन लीग मैचों के खत्म होने तक अंक तालिका में कोलकाता छठे स्थान पर थी। यह तो केवल पहला सीज़न था, आगे आने वाले दो सीज़न में कोलकाता के टीम मैनेजमेंट, ऑनर शाहरुख खान से कप्तान सौरव गांगुली के बीच आने वाला विवाद इतंजार कर रहा था।

सीज़न में अंडरडॉग माने जाने वाली राजस्थान रॉयल्स ने मार ली थी बाज़ी 

आईपीएल का पहला सीज़न जब शुरू हुआ तब कागज़ पर डेक्कन चार्जर्स सबसे मजबूत टीम मानी जा रही थी। डेक्कन चार्जर्स के पास लक्ष्मण, गिलक्रिस्ट, शाहिद अफरीदी, एंड्र्यू सायमंड्स (सायमंड्स आईपीएल के पहले सीज़न सबसे महंगे विदेशी खिलाड़ी थे), स्कॉट स्टायरिस और चमिंडा वास जैसे खिलाड़ी थे। लेकिन तमाम धुरंधरों के टीम में होने के बावजूद डेक्कन चार्जर्स पूरे टूर्नामेंट में केवल दो मैच ही जीत पाई। कुछ ऐसा ही हाल आरसीबी का था। आरसीबी केवल चार मैच ही जीत सकी थी।

सीज़न की शुरुआत से पहले अंडरडॉग माने जाने वाली राजस्थान रॉयल्स ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया। राजस्थान 14 मुकाबलों में से 11 मैच जीतकर न सिर्फ अंक तालिका में शीर्ष पर रही, बल्कि आईपीएल के पहले सीज़न के सरताज का तमगा भी राजस्थान के हिस्से में गया। पूरे टूर्नामेंट में शेन वार्न की कप्तानी, शेन वॉटसन के हरफनमौला खेल और पाकिस्तानी तेज़ गेंदबाज सोहेल तनवीर की शानदार गेंदबाजी का राजस्थान की जीत में अहम योगदान रहा था। हालांकि यह सीज़न सोहेल तनवीर, शाहिद अफरीदी, शोएब मलिक, शोएब अख्तर और मोहम्मद आसिफ सहित तमाम पाकिस्तानी खिलाड़ियों के लिए आखिरी सीज़न साबित होने वाला था।