मध्यप्रदेश के दो दर्जन से अधिक जिलों में आशा एवं सहयोगियों ने गुरुवार को प्रदर्शन किया। आशा कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर नियमितीकरण की मांग की। अखिल भारतीय आशा कोर्डिनेशन कमेटी के आह्वान पर राष्ट्रीय व्यापी मांग दिवस के दौरान ये प्रदर्शन किया गया। एकता यूनियन मध्य प्रदेश ने आशा एवं आशा सहयोगियों को स्वास्थ्य कर्मचारी के रूप में नियमित करने और न्यूनतम वेतन देने की मांग की।

गौरतलब है कि भारतीय श्रम सम्मेलन के 45वें सत्र में आशा एवं आशा सहयोगी सहित योजना कर्मियों को कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था। लेकिन सात साल बाद भी सरकार ने इसे लागू नहीं किया है।

दिल्ली में हुये प्रदर्शन में सीटू राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन, राष्ट्रीय सचिव ए आर सिन्धु, अखिल भारतीय आशा कोर्डिनेशन कमेटी की संयोजिका रंजना नरुला ने भागीदारी की। वही मध्यप्रदेश के रतलाम, इंदौर, नीमच, उज्जैन, सीहोर, भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद, ग्वालियर, अशोकनगर, गुना, शिवपुरी, श्योपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, जबलपुर, डिंडौरी, शहडोल, रीवा सहित दो दर्जन जिलों में प्रदर्शन करते हुये ज्ञापन सौंपा।

फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए सुविधाओं की मांग

आशा और सहयोगी कार्यकर्ताओं ने फ्रंट लाइन वर्कर्स को सुरक्षा उपकरण, रेड जोन और कंटेनमेंट एरिया में काम करने वाले आशाओं को पीपीई किट, नियमित रूप से नि:शुल्क कोरोना टेस्ट और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए 50 लाख का बीमा, आशाओं के परिवार का कोरोना इलाज, कोविड-19 ड्यूटी में लगी आशा एवं सहयोगियों सहित सभी स्वास्थ्य एवं परियोजना कर्मियों को 25 हजार रुपए की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि समेत कई मांगे रखी।