अहमदाबाद। गुजरात में पंचायत चुनावों के परिणाम जारी हो गए हैं। यहां के पंचायत चुनावों में खास बात यह है कि राज्य के 1165 ग्राम पंचायतों में बिना चुनाव के ही ग्रामीणों ने सर्व सम्मति से निर्विरोध तौर पर अपने सरपंच और उपसरपंचों को चुना है। इन्ही में से एक है आणंद ज़िले के गोरवा गांव की उपसरपंच भानुबेन वणकर है। इन्हें गांव वालों ने सर्व सम्मति से गांव की उपसरपंच चुना है। वे अत्यंत गरीब परिवार से आती हैं। परिवार की आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें अपना घर चलाने के लिए दो बार सेरोगेट मदर बनना पड़ा। भानुबेन ने दोनों ही बार में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया।

भानुबेन महज पांचवीं तक पढ़ी हैं। वे नैनी के तौर पर बच्चों की देखभाल का काम करती हैं। अब वे इसके जरिए हर महीने 25-30 हजार रुपये की कमाई कर लेती हैं। भानुबेन भारत के साथ-साथ विदेशों में भी नैनी का काम कर चुकी हैं। वे कई बार यूरोप, अमेरिका समेत अन्य देशों में सेवाएं दे चुकी हैं। उप सरपंच बनकर भानुबेन गांव के विकास के साथ-साथ महिलाओं की तरक्की के लिए काम करना चाहती हैं। उनका कहना है कि गांव को विकास की जरूरत है। वर्तमान में गांव का विकास वैसा नहीं हुआ है जैसा होना चाहिए था।

 भानुबेन की मानें तो घर में गरीबी का यह आलम था कि कई बार अपने बच्चों भूखे ही सुलाना पड़ा था। फिर उनका संपर्क आणंद की एक डॉक्टर नयना बेन से हुई। डॉक्टर नयना बेन ने उन्हें सरोगेसी के बारे में बताया। जिसके बाद भानुबेन सेरोगेसी के जरिए चार बच्चों की मां बनीं। डॉक्टर नयना की मदद से ही भानुबेन ने अस्पताल में नैनी की ट्रेनिंग हासिल की। नैनी का काम करते हुए अब उनके परिवार की माली हालत सुधर गई। भानुबेन का मानना है कि अगर महिला की तरक्की होती है तो पूरे घर का विकास होता है, संतानों के बेहतर जीवन मिलने में आसानी होती है। अब वे निर्विरोध तौर पर गांव उप सरपंच चुनी गई हैं। भानुबेन को निर्विरोध चुन कर गांववालों ने एक नई मिसाल पेश की है। उनका मानना है कि वे गांव के चहुंमुखी विकास में मददगार साबित होंगी।