रायपुर। आदिवासियों के सबसे बड़े समुदाय गोंड जनजाति की भाषा गोंडी को अब स्मार्ट फोन के जरिए हिंदी में अनुवाद किया जा सकेगा। दुनियाभर की अन्य प्रमुख भाषाओं की तरह अब एप के जरिए गोंडी से हिंदी और हिंदी से गोंडी करना आसान होगा। सबकुछ ठीक रहा तो इस विशेष एप को इस महीने के अंत तक लॉन्च कर दिया जाएगा। इसे माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च लैब, सीजीनेट स्वरा और आईआईआईटी नया रायपुर द्वारा विकसित किया गया है। खास बात यह है कि इस एप से जुड़े ज्यादा कार्यों को कोरोना संकट के कारण लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान किया गया है।

इन दिनों, तेलंगाना के अर्का मणिकराव, छत्तीसगढ़ के रेनूराम मरकाम और ओडिशा के रवींद्रनाथ एक साझा प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। प्रोजेक्ट का नाम इंटरएक्टिव न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन (INMT) जिसके तहत एक एप बनाया जाएगा जो हिंदी से गोंडी और गोंडी से हिंदी अनुवाद करता हो। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, नया रायपुर के एक युवा छात्र अनुराग शुक्ला इस परियोजना के लिए अपने तकनीकी समर्थन प्रदान कर रहे हैं। इस एप के आने के बाद तकरीबन 15 राज्यों के 1 करोड़ से ज्यादा गोंडी भाषी आदिवासियों से संचार स्थापित करने में मदद मिलेगी। 

इस प्रोजेक्ट को ब्राउज़र आधारित या मोबाइल एप बनाकर सिर्फ इंटरनेट के जरिए ही कार्य करने के उद्देश्य से नहीं किया जा रहा है बल्कि प्रयास यह भी है कि इसे उन जगहों पर भी सुलभ बनाया जाए जहां संसाधन उपलब्ध नहीं हो और इंटरनेट की भी सुविधाएं नहीं हो। इसलिए यह ऑफलाइन भी होगा। बता दें कि छत्तीसगढ़ जैसे अनेक राज्यों में बीते कई दशकों से संचार गैप होने के कारण विकास कार्यों में बाधा आती है। छत्तीसगढ़ के ज्यादा माओवादी भी सिर्फ गोंडी भाषा बोलते हैं ऐसे में माओवादियों के साथ भी प्रशासन और सरकार का इफेक्टिव कम्युनिकेशन स्थापित नहीं हो पाता। 

इस प्रोजेक्ट के लिए पिछले चार महीने से देशभर के 150 से ज्यादा गोंडी भाषी विद्वान मिलकर हिंदी से होंदी भाषा मे वाक्यों का अनुवाद कर रहे हैं। इस दौरान पिछले महीने तक लगभग 20 हजार वाक्यों का अनुवाद कर इस प्रोजेक्ट ने अपनी पहली बाधा पार कर ली थी और आज इसमें 35 हजार से ज्यादा वाक्य डाले जा चुके हैं। फिलहाल इसका उद्देश्य कम से कम 1 लाख वाक्यों को अनुवाद करने का है। बता दें कि सीजीनेट स्वरा ने एक स्टैंडर्ड गोंडी शब्दकोश को भी डेवलप किया है जिसमें 3 हजार से ज्यादा शब्दों को शामिल किया गया है। 

इसके पहले सीजीनेट स्वरा की टीम ने प्रथम बुक्स के साथ मिलकर तकरीबन 400 बच्चों की पुस्तकों को भी गोंडी भाषा में अनुवाद किया है। हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि अब राज्य में ट्राइबल भाषाओं में शिक्षा की घोषणा होगी। वहीं केंद्र सरकार द्वारा लागू नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया है। ऐसे में इन पुस्तकों को सरकार के कहने प्रकाशित किया जाएगा। यह पुस्तकें गोंडी भाषा की पहली लिखित सामग्री होगी।