नई दिल्ली। कोरोना महामारी के कारण बिगड़े आम आदमी के बजट के बीच केंद्र सरकार ने थोड़ी राहत का ऐलान किया है। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए नियोक्ता कंपनी या थर्ड पार्टी से ली गई 10 लाख तक की रकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इसके अलावा संक्रमण की चपेट में आकर मौत के बाद मिले मुआवजे की रकम को भी टैक्स फ्री कर दिया गया है।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यदि कोई बाहरी व्यक्ति कोरोना के इलाज में किसी दूसरे व्यक्ति की मदद करता है या फिर मृत्यु के बाद पीड़ित परिजनों की मदद करता है, तो उस परिवार को टैक्स नहीं देना पड़ेगा। हालांकि, केंद्र सरकार ने इसपर 10 लाख रुपए तक की सीमा तय कर दी है। यानी यदि मदद की रकम दस लाख रुपए से अधिक हो तब पूर्वानुसार टैक्स लिया जाएगा।

यह भी पढ़ें: ट्विटर ने लॉक किया रविशंकर प्रसाद का अकाउंट, सस्पेंड करने की दी चेतावनी

इसके अलावा यदि कोई एंप्लॉयर यानी नियोक्ता कंपनी ने अपने कर्मचारी के कोविड-19 इलाज के लिए पैसे खर्च करता हो तो उस पर भी संबंधित कर्मचारी को कोई टैक्स नहीं देना होगा। साथ ही यदि कर्मचारी की कोविड-19 से मौत हो जाती है और नियोक्ता कंपनी अपने कर्मचारी को एक्स ग्रेशिया यानी मुआवजा राशि देता है तो पीड़ित परिवार से इसपर टैक्स नहीं लिया जाएगा। इसमें भी 10 लाख रुपए तक की सीमा तय कर दी गई है।

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस संबंध में बताया है कि यह सुविधा वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लिए ही प्रभाव में रहेगी। लेकिन शर्त यह है कि किसी व्यक्ति या कंपनी के द्वारा की गई सहायता की अधिकतम राशि 10 लाख रुपये तक ही होनी चाहिए। इसके साथ ही आयकर विभाग ने पैन-आधार लिंकिंग की डेडलाइन भी 30 सितंबर 2021 तक के लिए बढ़ा दी है।साथ ही नियोक्ताओं की ओर से कर्मचारियों को टीडीएस सर्टिफिकेट देने की तारीख भी 15 जुलाई से बढ़ा कर 31 जुलाई, 2021 कर दी गई है।